शीर्ष अदालत ने विवाह संबंधी विवादों में एक बड़ी व्यवस्था देते हुए अपने फैसले में कहा कि अगर पति के रिश्तेदार की स्पष्ट भूमिका न हो तो उसे दहेज हत्या या अन्य मामलों में नामजद नहीं किया जा सकता। फैसले के तहत शीर्ष अदालत ने आरोपी पति के मामा को मामले से बरी कर दिया। न्यायमूर्ति एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव की पीठ ने देशभर की अदालतों को इन मामलों में पति के दूर के रिश्तेदारों के खिलाफ कार्यवाही में सतर्क रहने को लेकर चेताया। अदालत ने अपने फैसले में एक व्यक्ति के मामाओं की ओर से दायर याचिका स्वीकार कर ली जिसमें जिन्होंने हैदराबाद उच्च न्यायालय के जनवरी 2016 के फैसले को चुनौती दी थी। इस फैसले में उच्च न्यायालय ने एक वैवाहिक विवाद मामले में उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही खत्म करने की अपील ठुकरा दी थी। पीठ ने कहा, जब तक पति के रिश्तेदारों की अपराध में संलिप्तता की स्पष्ट घटनाएं नहीं हों, उन्हें आरोपों के आधार पर नामजद नहीं किया जाना चाहिए। याचिका पर सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि मामले में दायर आरोप-पत्रों पर विचार करने के बाद अदालत का नजरिया है कि विवाहित महिला से क्रूरता, आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और अपहरण के आरोपों के लिए पति के मामाओं के खिलाफ मामला नहीं बनता। जिसमें शिकायतकर्ता ने अपने पति और उसके मामाओं सहित परिजनों द्वारा उत्पीड़न किए जाने का आरोप लगाया था।by Law Expert and Judiciary Exam.
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परीक्षार्थी को आरटीआई अधिनियम के तहत अपनी उत्तर पुस्तिका का निरीक्षण करने का अधिकार : सीआईसी(केन्द्रीय सूचना आयोग ) दिनांक 2 2 जून 2018. दिल्ली.↔ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ केन्द्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने✔ सीबीएसई और अन्य बनाम आदित्य बंदोपाध्याय और अन्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निर्भर रहते हुए हाल ही में कहा है कि एक परीक्षार्थी को सूचना अधिकार अधिनियम, 2015 के तहत अपने उत्तर पत्रों का निरीक्षण करने का अधिकार है। सर्वोच्च न्यायालय ने आदित्य बंदोपाध्याय के मामले में फैसला सुनाया था कि अधिनियम की धारा 2 (एफ) के तहत एक सूचना पत्र ‘सूचना’ के दायरे में आ जाएगा और छात्रों के पास अधिनियम के तहत उनकी मूल्यांकन की गई उत्तर पुस्तिका तक पहुंचने का मौलिक और कानूनी अधिकार है। सर्वोच्च न्यायालय ने देखा था, “जब कोई उम्मीदवार परीक्षा में भाग लेता है और प्रश्न के जवाब में अपने उत्तर लिखता है और परिणाम के मूल्यांकन और घोषणा के लिए इसे जांच निकाय को प्रस्तुत करता है तो उत्तर प...
सर मुजे एक बात और समज में नही आती।।रिस्तेदार के अलाबा लड़का के चाचा ।,चाची भाई,बहन, जो अलग रहते है उनका इस केस से क्या लेना देना होता है चलो माँ बाप।।तक यो ठीक है पर छोटा भाई ।।व फसा दिया जाता है।। ये को से न्याय है।।।देव चौधरी (समजसेबी) 9977585293
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