यूपी में फिर लागू होगी अग्रिम जमानत की व्यवस्था यूपी की योगी सरकार कैबिनेट ने दी मंजूरी

यूपी में अग्रिम जमानत के लिए बिल लाएगी योगी सरकार, कैबिनेट की मजूंरी ,उत्तर प्रदेश सरकार कैबिनेट ने संशोधन को दी मंजूरी ।अब उत्तर प्रदेश में भी हाई कोर्ट और सत्र न्यायालय से अग्रिम जमानत मिल सकेगी।यूपी कैबिनेट ने सीआरपीसी की धारा 438 को संशोधनों के साथ दंड प्रक्रिया संहिता (उत्तर प्रदेश संशोधन) विधेयक-2018 के जरिए फिर बहाल करने के विधेयक को मंजूरी दे दी है। प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार ने बताया कि कैबिनेट की मंजूरी के बाद यह विधेयक 23 जुलाई से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में पेश किया जाएगा। यूपी में 1976 में आपातकाल के दौरान अग्रिम जमानत की व्यवस्था खत्म कर दी गई थी। यूपी और उत्तराखंड को छोड़कर बाकी प्रदेशों में यह व्यवस्था बाद में शुरू हो गई। हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की तरफ से इसे पुर्नस्थापित करने के निर्देश मिल रहे थे।2010 में एक बिल विधानमंडल से पारित करवाने के बाद केंद्र सरकार को भेजा गया था। यह बिल राष्ट्रपति के यहां रुक गया था। वहीं, दूसरी ओर संज्ञेय अपराधों में अरेस्ट स्टे के लिए हाई कोर्ट में लगातार याचिकाएं आ रही थीं, इससे कोर्ट पर काफी दबाव पड़ रहा था। ऐसे में कोर्ट के निर्देशों के बाद प्रमुख सचिव-गृह की अध्यक्षता में एक कमिटी का गठन किया गया। अब कमिटी की सिफारिशों के आधार पर विधेयक तैयार कर विधानसत्रा सत्र में पेश किया जाएगा। यूपी सरकार ने भी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में अग्रिम जमानत से जुड़ी एक याचिका में कहा था कि हम अग्रिम जमानत लागू करने के लिए बिल लाने जा रहे हैं।

ये होंगी शर्तें -

अग्रिम जमानत की याचिका पर सुनवाई के दौरान अभियुक्त का उपस्थित रहना जरूरी नहीं। जिस दौरान पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा, अभियुक्त को पुलिस या विवेचक के समक्ष उपस्थित होना पड़ेगा। आवेदक मामले से जुड़े गवाहों व अन्य व्यक्तियों को धमका नहीं सकेगा, न ही कोई आश्वासन दे सकेगा। एससी-एसटी ऐक्ट में नहीं मिलेगी अग्रिम जमानत अग्रिम जमानत की व्यवस्था एससी-एसटी ऐक्ट समेत अन्य गंभीर अपराध के मामलों में लागू नहीं होगी। आतंकी गतिविधियों से जुड़े मामलों (अनलॉफुल ऐक्टिविटी ऐक्ट 1967), आफिशल ऐक्ट, नारकोटिक्स ऐक्ट, गैंगस्टर ऐक्ट व मौत की सजा से जुड़े मुकदमों में अग्रिम जमानत नहीं मिल सकेगी। 

30 दिन में करना होगा निस्तारण विधेयक के तहत अग्रिम जमानत के लिए जो भी आवेदन आएंगे, उनका आने की तिथि से 30 दिन के अंदर निस्तारण करना होगा। कोर्ट को अंतिम सुनवाई से सात दिन पहले लोक अभियोजक को नोटिस भेजना भी अनिवार्य होगा। अग्रिम जमानत से जुड़े मामलों में कोर्ट अभियोग की प्रकृति और गंभीरता, आवेदक के इतिहास, उसकी न्याय से भागने की प्रवृत्ति और आवेदक को अपमानित करने के उद्देश्य से लगाए गए आरोप पर विचार कर उसके आधार पर फैसला ले सकती हैं ।

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