यदि ड्राइविंग लाइसेंस फर्जी है, तब भी बीमाकर्ता अपने दायित्व से मुक्त नहीं हो सकता : सुप्रीम कोर्ट

केवल इसलिए कि ड्राइविंग लाइसेंस फर्जी है, बीमाकर्ता अपने दायित्व से मुक्त नहीं हो सकता :सुप्रीम कोर्ट यह पूरी तरह स्थापित है कि अगर मालिक को यह पता है कि ड्राइविंग लाइसेंस फर्जी है और इसके बाद भी अगर वह ड्राईवर को वाहन को चलाने देता है, तब तो बीमाकर्ता छूट सकता है। पर जब सिर्फ इस वजह से कि ड्राइविंग लाइसेंस फर्जी है, बीमाकर्ता अपने दायित्व से बच नहीं सकता।’ : सुप्रीम कोर्ट .नई दिल्ली. Law Expert and Judiciary Exam. 

  सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सिर्फ इस वजह से कि ड्राइविंग लाइसेंस फर्जी है, बीमाकर्ता अपने दायित्व से मुक्त नहीं हो सकता। वह उसी स्थिति में अपनी दायित्व से मुक्त हो सकता है अगर यह पाया जाता है कि वाहन के मालिक ने यह जानते हुए भी कि ड्राइविंग लाइसेंस फर्जी है, ड्राईवर को गाड़ी चलाने की अनुमति दी।

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की पीठ ने रमा चन्द्र सिंह बनाम राजाराम मामले में एक अपील पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया। यह अपील इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ दायर किया गया जिसमें उसने यह पता चलने पर कि ड्राइविंग लाइसेंस फर्जी है, बीमाकर्ता को दायित्वों से मुक्त कर दिया था।  शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा कि अधिकरण और हाईकोर्ट ने यह पता करने की कोशिश नहीं की कि क्या वाहन का मालिक इस बात से अवगत था कि ड्राईवर के पास फर्जी लाइसेंस है।  

पीठ ने इस बात पर भी गौर किया कि हाईकोर्ट ने पेप्सू सड़क परिवहन निगम बनाम नेशनल इंश्योरेंस कंपनी मामले में आए फैसले का हवाला दिया है पर कहा कि यह मामले के तथ्यों पर आधारित था और जिसमें कोर्ट ने कहा कि इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि अथॉरिटीज ने जो ड्राइविंग लाइसेंस पेश किया वह फर्जी है।

 पीठ ने कहा, “हमारे विचार में ऐसा करना स्पष्ट रूप से गलत है जबकि उस मामले में भी, कोर्ट के पास मुद्दा वही था जो इस अपील में है।” पीठ ने इस मामले में विभिन्न फैसलों का हवाला देते हुए कहा, “यह पूरी तरह स्थापित है कि अगर मालिक को यह पता है कि ड्राइविंग लाइसेंस फर्जी है और इसके बाद भी अगर वह ड्राईवर को वाहन को चलाने देता है, तब तो बीमाकर्ता छूट सकता है। पर जब सिर्फ इस वजह से कि ड्राइविंग लाइसेंस फर्जी है, बीमाकर्ता अपने दायित्व से बच नहीं सकता। हाईकोर्ट ने नोट किया अपीलकर्ता के वकील ने इस बात से इनकार नहीं किया कि जो लाइसेंस पेश किया गया वह फर्जी पाया गया, पर यह छूट अपने आप में बीमाकर्ता को दायित्व से मुक्त करने के लिए पर्याप्त नहीं है।” पीठ ने इसके बाद इस मामले को पुनर्विचार के लिए वापस हाईकोर्ट भेज दिया और कहा कि वह मुआवजे के भुगतान के लिए सिर्फ इस मामले में वाहन मालिक या बीमाकर्ता के दायित्व का निर्धारण करे। by Law Expert and Judiciary Exam.

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