पीठ ने कहा, “हमारे विचार में ऐसा करना स्पष्ट रूप से गलत है जबकि उस मामले में भी, कोर्ट के पास मुद्दा वही था जो इस अपील में है।” पीठ ने इस मामले में विभिन्न फैसलों का हवाला देते हुए कहा, “यह पूरी तरह स्थापित है कि अगर मालिक को यह पता है कि ड्राइविंग लाइसेंस फर्जी है और इसके बाद भी अगर वह ड्राईवर को वाहन को चलाने देता है, तब तो बीमाकर्ता छूट सकता है। पर जब सिर्फ इस वजह से कि ड्राइविंग लाइसेंस फर्जी है, बीमाकर्ता अपने दायित्व से बच नहीं सकता। हाईकोर्ट ने नोट किया अपीलकर्ता के वकील ने इस बात से इनकार नहीं किया कि जो लाइसेंस पेश किया गया वह फर्जी पाया गया, पर यह छूट अपने आप में बीमाकर्ता को दायित्व से मुक्त करने के लिए पर्याप्त नहीं है।” पीठ ने इसके बाद इस मामले को पुनर्विचार के लिए वापस हाईकोर्ट भेज दिया और कहा कि वह मुआवजे के भुगतान के लिए सिर्फ इस मामले में वाहन मालिक या बीमाकर्ता के दायित्व का निर्धारण करे। by Law Expert and Judiciary Exam.
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परीक्षार्थी को आरटीआई अधिनियम के अंतर्गत अपनी उत्तर पुस्तिका का निरीक्षण करने का अधिकार : सीआईसी(केन्द्रीय सूचना आयोग)
परीक्षार्थी को आरटीआई अधिनियम के तहत अपनी उत्तर पुस्तिका का निरीक्षण करने का अधिकार : सीआईसी(केन्द्रीय सूचना आयोग ) दिनांक 2 2 जून 2018. दिल्ली.↔ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ केन्द्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने✔ सीबीएसई और अन्य बनाम आदित्य बंदोपाध्याय और अन्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निर्भर रहते हुए हाल ही में कहा है कि एक परीक्षार्थी को सूचना अधिकार अधिनियम, 2015 के तहत अपने उत्तर पत्रों का निरीक्षण करने का अधिकार है। सर्वोच्च न्यायालय ने आदित्य बंदोपाध्याय के मामले में फैसला सुनाया था कि अधिनियम की धारा 2 (एफ) के तहत एक सूचना पत्र ‘सूचना’ के दायरे में आ जाएगा और छात्रों के पास अधिनियम के तहत उनकी मूल्यांकन की गई उत्तर पुस्तिका तक पहुंचने का मौलिक और कानूनी अधिकार है। सर्वोच्च न्यायालय ने देखा था, “जब कोई उम्मीदवार परीक्षा में भाग लेता है और प्रश्न के जवाब में अपने उत्तर लिखता है और परिणाम के मूल्यांकन और घोषणा के लिए इसे जांच निकाय को प्रस्तुत करता है तो उत्तर प...
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