दरअसल, दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने 31 अगस्त 2009 को पत्नी के पक्ष में फैसला देते हुए में तलाक की डिक्री मंजूर की थी. पति ने फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दे दी. लेकिन, मामला आगे बढ़ने से पहले ही पति-पत्नी के बीच समझौता हो गया. 15 अक्टूबर, 2011 को पति अपील वापस लेने की अर्जी दाखिल कर दी. लेकिन, जब ये केस पेंडिंग था, उस समय ही पति ने दिसंबर 2011 में दूसरी शादी कर ली. इस शादी के बाद दूसरी महिला ने शादी को कोर्ट में चुनौती दे दी. उसने अपील में कहा, तलाक की अपील पेंडिंग के दौरान शादी हुई है, इसलिए इसे शून्य करार दिया जाए. निचली कोर्ट ने उसकी अर्जी खारिज कर दी. हालांकि, हाईकोर्ट ने इसे मान लिया और शादी को शून्य घोषित कर दिया. इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और वहां पर हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया गया.by Law Expert and Judiciary Exam.
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परीक्षार्थी को आरटीआई अधिनियम के अंतर्गत अपनी उत्तर पुस्तिका का निरीक्षण करने का अधिकार : सीआईसी(केन्द्रीय सूचना आयोग)
परीक्षार्थी को आरटीआई अधिनियम के तहत अपनी उत्तर पुस्तिका का निरीक्षण करने का अधिकार : सीआईसी(केन्द्रीय सूचना आयोग ) दिनांक 2 2 जून 2018. दिल्ली.↔ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ केन्द्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने✔ सीबीएसई और अन्य बनाम आदित्य बंदोपाध्याय और अन्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निर्भर रहते हुए हाल ही में कहा है कि एक परीक्षार्थी को सूचना अधिकार अधिनियम, 2015 के तहत अपने उत्तर पत्रों का निरीक्षण करने का अधिकार है। सर्वोच्च न्यायालय ने आदित्य बंदोपाध्याय के मामले में फैसला सुनाया था कि अधिनियम की धारा 2 (एफ) के तहत एक सूचना पत्र ‘सूचना’ के दायरे में आ जाएगा और छात्रों के पास अधिनियम के तहत उनकी मूल्यांकन की गई उत्तर पुस्तिका तक पहुंचने का मौलिक और कानूनी अधिकार है। सर्वोच्च न्यायालय ने देखा था, “जब कोई उम्मीदवार परीक्षा में भाग लेता है और प्रश्न के जवाब में अपने उत्तर लिखता है और परिणाम के मूल्यांकन और घोषणा के लिए इसे जांच निकाय को प्रस्तुत करता है तो उत्तर प...
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