आरक्षण :क्या IAS,मुख्य सचिव के पोते को भी माना जाएगा पिछड़ा ? ?: सुप्रीम कोर्ट

 सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, क्या IAS का पोते को भी माना जाएगा पिछड़ा? संपन्न लोगों के बच्चों को आरक्षण क्यों ??Aug 24, 2018,  सुप्रीम कोर्ट ने खड़े किए सवाल , 

नई दिल्ली,सुप्रीम कोर्ट. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को प्रमोशन में आरक्षण से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कई सवाल किए।शीर्ष अदालत ने पूछा कि यदि एक आदमी रिजर्व कैटिगरी से आता है और राज्य का सेक्रटरी है, तो क्या ऐसे में यह तार्किक होगा कि उसके परिजन को रिजर्वेशन के लिए बैकवर्ड माना जाए? दरअसल, सुनवाई करने वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ इस बात का आकलन कर रही है कि क्या क्रीमीलेयर के सिद्धांत को एससी-एसटी के लिए लागू किया जाए, जो फिलहाल सिर्फ ओबीसी के लिए लागू हो रहा है।  हर तरह का आरक्षण खत्म होना चाहिये. सैन्य सेवा में उनके बच्चों को आरक्षण मिलता है, पूर्व सरकारी कर्मियों के बच्चों को आरक्षण मिलता है, किसी राज्य की नौकरी में उस राज्य का गुरुवार को इस मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह सवाल भी किया कि मान लिया जाए कि एक जाति 50 सालों से पिछड़ी है और उसमें एक वर्ग क्रीमीलेयर में आ चुका है, तो ऐसी स्थितियों में क्या किया जाना चाहिए? कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि आरक्षण का पूरा सिद्धांत उन लोगों की मदद देने के लिए है, जोकि सामाजिक रूप से पिछड़े हैं और सक्षम नहीं हैं। ऐसे में इस पहलू पर विचार करना बेहद जरूरी है। इससे पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हुई पिछली सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि 2006 के नागराज जजमेंट के चलते SC-ST के लिए प्रमोशन में आरक्षण रुक गया है। केंद्र सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि प्रमोशन में आरक्षण देना सही है या गलत इसपर टिप्पणी नहीं करना चाहता, लेकिन यह तबका 1000 से अधिक सालों से झेल रहा है। उन्होंने कहा कि नागराज मामले में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ को फैसले की समीक्षा की जरूरत है ।

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