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अनुसूचित जाति के एक व्यक्ति को किसी दूसरे राज्य में आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा : सुप्रीम कोर्ट

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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, एक ही राज्य में ले सकेंगे एससी-एसटी  आरक्षण का लाभ 

पति के साथ रहना है या फिर नहीं, यह पत्नी की मर्जी : सुप्रीम कोर्ट

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पति के साथ रहना है या नहीं रहना है यह महिला की मर्जी : सुप्रीम कोर्ट 

हाईकोर्ट जज के खिलाफ फेसबुक पर पोस्ट करने वाले अधिवक्ता को हाईकोर्ट ने सुनाई एक माह जेल की सजा एवं फेसबुक एकाउंट हटाने का दिया आदेश

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फेसबुक पर हाईकोर्ट जजों के खिलाफ घृणायुक्त पोस्ट लिखना पड़ा मंहगा, वकील को एक महीने की कैद की सजा सुनाई, उसका फेसबुक खाता हटाया । हिमाचल प्रदेश ।शिमला ।हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट । Law Expert and Judiciary Exam. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक जजों के खिलाफ फेसबुक पर घृणात्मक पोस्ट लिखने वाले वकील को दंड के रूप में एक महीने के लिए जेल भेज दिया है और उसके फेसबुक खाते को बंद करने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति चंदर भूषण बरोवालिया ने विकास सनोरिया के फेसबुक खाते को डिलीट करने का आदेश दिया और कहा कि जजों को भला बुरा कहने की इस बढ़ती धारणा से कठोरता से निपटने की जरूरत है। हाईकोर्ट ने इस बारे में स्वतः संज्ञान लेते हुए विकास सनोरिया के खिलाफ आपराधिक अपमान का मामला दर्ज किया था क्योंकि उसने एक न्यायिक मजिस्ट्रेट के खिलाफ कुछ अभद्र टिप्पणी की थी। इसके बाद भी यह वकील टिप्पणियाँ लिखता रहा जिसमें कुछ तो गाली गलौज से भरे थे और हाईकोर्ट के जजों को निशाना बनाया गया था। यह सब उसने तब करना शुरू किया जब मजिस्ट्रेट ने उसकी एक अर्जी खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि विचार व्यक्

तलाक की अर्जी अगर पेंडिंग है तब भी दूसरी शादी होगी मान्य : सुप्रीम कोर्ट

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तलाक की अर्जी अगर पेंडिंग, तो भी दूसरी शादी होगी मान्य: सुप्रीम कोर्ट नई दिल्ली | सुप्रीम कोर्ट ।Law Expert and Judiciary Exam.  हिंदू मैरिज एक्ट के सेक्शन 15 की व्याख्या करते हुए बेंच ने कहा कि तलाक के खिलाफ अपील की पेंडेंसी के दौरान दूसरी शादी पर रोक का प्रावधान तब लागू नहीं होता, जब पक्षकारों ने समझौते के आधार पर केस आगे न चलाने का फैसला कर लिया हो.  सुप्रीम कोर्ट ने तलाक को लेकर बड़ा फैसला दिया है. हिंदू मैरिज एक्ट के तहत तलाक के खिलाफ दायर अपील के लंबित होने के दौरान महिला या पुरुष में से किसी के भी दूसरी शादी पर रोक है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपने नए फैसले में कहा है कि अगर तलाक की अर्जी लंबित है और दोनों पक्षों में केस को लेकर सहमति है, तो दूसरी शादी मान्य होगी. सूत्रों के अनुसार  हिंदू मैरिज एक्ट के सेक्शन 15 की व्याख्या करते हुए जस्टिस एसए बोबडे औरजस्टिस एल नागेश्वर राव की बेंच ने कहा कि तलाक के खिलाफ अपील की पेंडेंसी के दौरान दूसरी शादी पर रोक का प्रावधान तब लागू नहीं होता, जब पक्षकारों ने समझौते के आधार पर केस आगे न चलाने का फैसला कर लिया हो.   सुप्रीम कोर्ट ने एक

अगर पति के रिश्तेदार की स्पष्ट भूमिका न हो तो उसे दहेज हत्या या अन्य मामलों में नामजद नहीं किया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट

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दहेज हत्या,वैवाहिक विवादों में बिना सबूत रिश्तेदारों को नहीं कर सकते नामजद : सुप्रीम कोर्ट नई दिल्ली |सुप्रीम कोर्ट ।Law Expert and Judiciary Exam. शीर्ष अदालत ने विवाह संबंधी विवादों में एक बड़ी व्यवस्था देते हुए अपने फैसले में कहा कि अगर पति के रिश्तेदार की स्पष्ट भूमिका न हो तो उसे दहेज हत्या या अन्य मामलों में नामजद नहीं किया जा सकता। फैसले के तहत शीर्ष अदालत ने आरोपी पति के मामा को मामले से बरी कर दिया।  न्यायमूर्ति एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव की पीठ ने  देशभर की अदालतों को इन मामलों में पति के दूर के रिश्तेदारों के खिलाफ कार्यवाही में सतर्क रहने को लेकर चेताया। अदालत ने अपने फैसले में एक व्यक्ति के मामाओं की ओर से दायर याचिका स्वीकार कर ली जिसमें जिन्होंने हैदराबाद उच्च न्यायालय के जनवरी 2016 के फैसले को चुनौती दी थी। इस फैसले में उच्च न्यायालय ने एक वैवाहिक विवाद मामले में उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही खत्म करने की अपील ठुकरा दी थी। पीठ ने कहा, जब तक पति के रिश्तेदारों की अपराध में संलिप्तता की स्पष्ट घटनाएं नहीं हों, उन्हें आरोपों के आधार पर नामजद नहीं किया जान

कर्मचारी को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति से रोका जा सकता है : सुप्रीम कोर्ट

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  कर्मचारी को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति से रोका जा सकता है : सुप्रीम कोर्ट कोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि सेवाओं की जरूरत होने पर कर्मचारी को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति देने से मना किया जा सकता है।  नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट । Law Expert and Judiciary Exam.  जस्टिस अरुण मिश्रा और एस.ए. नजीर की पीठ ने यह आदेश उत्तर प्रदेश के एक सरकारी डॉक्टर के मामले में दिया, जिन्होंने यूपी स्वास्थ्य सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन किया था। पीठ ने कहा कि जब किसी कर्मचारी की सेवाओं की जरूरत हो तो उसे सेवानिवृत्ति देने से मना किया जा सकता है।  डॉ. अचल सिंह मेडिकल हेल्थ और फैमिली वेलफेयर सेंटर में संयुक्त निदेशक के रूप में काम कर रहे थे। उन्होंने सरकार को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का नोटिस दिया। लेकिन सरकार ने उनके आवेदन को  ठुकरा दिया। उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की और हाईकोर्ट ने नियमों (फंडामेंटल रुल्स, नियम 56-सी) को देखते हुए उन्हें सेवानिवृत्त करने का आदेश दिया।   इस आदेश के खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट आ गई। सरकार ने कहा कि प्रदेश स्वास्थ्य सेवा में डॉक्टरों की भारी किल्लत है इस

आरक्षण :क्या IAS,मुख्य सचिव के पोते को भी माना जाएगा पिछड़ा ? ?: सुप्रीम कोर्ट

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 सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, क्या IAS का पोते को भी माना जाएगा पिछड़ा? संपन्न लोगों के बच्चों को आरक्षण क्यों ?? Aug 24, 2018,  सुप्रीम कोर्ट ने खड़े किए सवाल ,  नई दिल्ली,सुप्रीम कोर्ट. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को प्रमोशन में आरक्षण से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कई सवाल किए।शीर्ष अदालत ने पूछा कि यदि एक आदमी रिजर्व कैटिगरी से आता है और राज्य का सेक्रटरी है, तो क्या ऐसे में यह तार्किक होगा कि उसके परिजन को रिजर्वेशन के लिए बैकवर्ड माना जाए? दरअसल, सुनवाई करने वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ इस बात का आकलन कर रही है कि क्या क्रीमीलेयर के सिद्धांत को एससी-एसटी के लिए लागू किया जाए, जो फिलहाल सिर्फ ओबीसी के लिए लागू हो रहा है।  हर तरह का आरक्षण खत्म होना चाहिये. सैन्य सेवा में उनके बच्चों को आरक्षण मिलता है, पूर्व सरकारी कर्मियों के बच्चों को आरक्षण मिलता है, किसी राज्य की नौकरी में उस राज्य का गुरुवार को इस मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह सवाल भी किया कि मान लिया जाए कि एक जाति 50 सालों से पिछड़ी है और उसमें एक वर्ग क्रीमीलेयर में आ चुका है, तो ऐसी स्थित

यूपी में फिर लागू होगी अग्रिम जमानत की व्यवस्था यूपी की योगी सरकार कैबिनेट ने दी मंजूरी

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यूपी में अग्रिम जमानत के लिए बिल लाएगी योगी सरकार, कैबिनेट की मजूंरी ,उत्तर प्रदेश सरकार कैबिनेट ने संशोधन को दी मंजूरी ।अब उत्तर प्रदेश में भी हाई कोर्ट और सत्र न्यायालय से अग्रिम जमानत मिल सकेगी। यूपी कैबिनेट ने सीआरपीसी की धारा 438 को संशोधनों के साथ दंड प्रक्रिया संहिता (उत्तर प्रदेश संशोधन) विधेयक-2018 के जरिए फिर बहाल करने के विधेयक को मंजूरी दे दी है। प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार ने बताया कि कैबिनेट की मंजूरी के बाद यह विधेयक 23 जुलाई से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में पेश किया जाएगा। यूपी में 1976 में आपातकाल के दौरान अग्रिम जमानत की व्यवस्था खत्म कर दी गई थी। यूपी और उत्तराखंड को छोड़कर बाकी प्रदेशों में यह व्यवस्था बाद में शुरू हो गई। हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की तरफ से इसे पुर्नस्थापित करने के निर्देश मिल रहे थे।2010 में एक बिल विधानमंडल से पारित करवाने के बाद केंद्र सरकार को भेजा गया था। यह बिल राष्ट्रपति के यहां रुक गया था। वहीं, दूसरी ओर संज्ञेय अपराधों में अरेस्ट स्टे के लिए हाई कोर्ट में लगातार याचिकाएं आ रही थीं, इससे कोर्ट पर काफी दबाव पड़ रहा था। ऐसे में कोर्ट के नि

यदि पक्षकारों के बीच समझौता हो गया है तो किराएदार को वेदखली का आदेश नहीं दिया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट

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यदि पक्षकारों के बीच समझौता हो गया है तो किराएदार को बेदखली का आदेश नहीं दिया जा सकता :सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जहां किराया क़ानून के तहत संरक्षण उपलब्ध है, वहाँ जब तक बेदखली का पर्याप्त आधार नहीं है, तो बेदखली का आदेश नहीं दिया जा सकता भले ही पक्षकारों के बीच समझौता क्यों न हो गया हो।  पृष्ठभूमि  बेदखली के लिए आवेदन दिया गया था पर मकान मालिक और किरायेदार के बीच समझौते का करार किराया नियंत्रण अदालत के समक्ष दायर किया गया। अपीली अदालत के समक्ष किरायेदारों ने कहा कि उन पर इस समझौते के करार पर हस्ताक्षर के लिए दबाव डाला गया और कहा कि यह समझौता इसलिए किया गया क्योंकि पुलिस ने इसके लिए दबाव डाला था। अपीली अदालत ने याचिका स्वीकार कर ली जिसमें विलंब के लिए माफी की मांग की गई थी।  हाईकोट ने अपीली अदालत के आदेश को इस आधार पर बदल दिया कि किरायेदारों को समझौता कराने वाले कोर्ट के समक्ष कहना चाहिए था कि इस समझौते के लिए उन पर दबाव डाला गया है। पर उन्होंने ऐसा नहीं कहा।  सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे और न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ ने अलगू फार्मेसी बनाम एन मगुदेश्व

दहेज लेने वाले की तरह देने वाले भी दोषी, दहेज देने के आरोप में वधू पक्ष के खिलाफ केस दर्ज करने का न्यायालय ने दिया आदेश

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 दहेज देने के आरोप में वधू पक्ष के खिलाफ केस दर्ज करने का कोर्ट ने दिया आदेश ,दहेज लेने वाले ही नही देने वाले भी दोषी 

यदि ड्राइविंग लाइसेंस फर्जी है, तब भी बीमाकर्ता अपने दायित्व से मुक्त नहीं हो सकता : सुप्रीम कोर्ट

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केवल  इसलिए कि ड्राइविंग लाइसेंस फर्जी है, बीमाकर्ता अपने दायित्व से मुक्त नहीं हो सकता :सुप्रीम कोर्ट यह पूरी तरह स्थापित है कि अगर मालिक को यह पता है कि ड्राइविंग लाइसेंस फर्जी है और इसके बाद भी अगर वह ड्राईवर को वाहन को चलाने देता है, तब तो बीमाकर्ता छूट सकता है। पर जब सिर्फ इस वजह से कि ड्राइविंग लाइसेंस फर्जी है, बीमाकर्ता अपने दायित्व से बच नहीं सकता।’ : सुप्रीम कोर्ट .नई दिल्ली. Law Expert and Judiciary Exam.    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सिर्फ इस वजह से कि ड्राइविंग लाइसेंस फर्जी है, बीमाकर्ता अपने दायित्व से मुक्त नहीं हो सकता। वह उसी स्थिति में अपनी दायित्व से मुक्त हो सकता है अगर यह पाया जाता है कि वाहन के मालिक ने यह जानते हुए भी कि ड्राइविंग लाइसेंस फर्जी है, ड्राईवर को गाड़ी चलाने की अनुमति दी। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की पीठ ने रमा चन्द्र सिंह बनाम राजाराम मामले में एक अपील पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया। यह अपील इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ दायर किया गया जिसमें उसने यह पता चलने पर कि ड्राइविंग

सभी राज्यों के विधिक सेवा प्राधिकार प्रत्येक आपराधिक मामले में वकील और जेल में बंद आरोपी के बीच वीडियो कांफ्रेंसिंग की सुविधा उपलब्ध कराएं : सुप्रीम कोर्ट

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सभी राज्यों के विधिक अथॉरिटीज हर आपराधिक मामले में वकील और जेल में बंद आरोपी के बीच वीडियो कांफ्रेंस की सुविधा उपलब्ध कराएं : सुप्रीम कोर्ट ‘इस तरह के प्रयासों से वकील और उसके मुवक्किल के बीच संवाद होने से न्याय दिलाने में मदद मिलेगी और यह क़ानूनी सलाह को सार्थक बनाएगा।’ : सुप्रीम कोर्ट  . नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट .Law Expert and Judiciary Exam.   सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों के क़ानूनी सेवाएं देने वाले प्राधिकरणों/समितियों से कहा है कि वे जेल में बंद आरोपी और उसके वकील के बीच या उस किसी भी व्यक्ति के बीच वीडियो कांफ्रेंस की सुविधा दिलाएं जो कि उस  आपराधिक मामले के बारे में जानकारी रखता है और उस मामले में आरोपी जेल में है।  न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे और न्यायमूर्ति यूयू ललित ने दो विशेष अनुमति याचिकाओं को खारिज करने का आदेश देते हुए सभी राज्यों के कानूनी सेवा प्राधिकरणों/समितियों से कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट विधिक सेवा समिति द्वारा जिस तरह की सुविधाएं दी जाती हैं वैसी ही सुविधाएं वे भी उपलब्ध कराएं।  नवंबर 2017 में सुप्रीम कोर्ट विधिक सेवा समिति ने एक सर्कुलर जारी कर कहा था कि अगर क

पति भिखारी हो तो भी पत्नी गुजारा भत्ता की हकदार : पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट

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जज की कार को ओवरटेक करना पड़ा महंगा, वकील पति-पत्नी का लाइसेंस कैंसिल

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हाईकोर्ट न्यायाधीश की कार को ओवरटेक करना पड़ा महंगा, वकील पति-पत्नी का लाइसेंस कैंसिल।  बार काउंसिल ने वकील दंपति को जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया है. इसकी जानकारी मद्रास हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को भी दे दी गई. हाईकोर्ट के जज की कार और उनके ड्राइवर से भिड़ना एक वकील दंपति को महंगा पड़ गया. तमिलनाडु बार काउसिंल ने वकील दंपित का लाइसेंस कैंसिल कर दिया. काउंसिल के अनुसार दोनों ने पेशेवर दुर्व्यवहार किया है. आदेश में कहा गया है कि, 'जनता में माननीय जजों और न्यायपालिका का विश्वास बनाए रखने के लिए यह जरूरी है कि आप दोनों को अंतरिम तौर पर प्रैक्टिस करने से रोकते हुए निलंबित कर दिया जाए.' बार काउंसिल की ओर से यह भी कहा गया है कि, 'भारतीय सीमा के भीतर वकील दंपति अगले आदेश तक किसी कोर्ट, ट्रिब्यूनल या अर्ध न्यायिक ट्रिब्यूनल में प्रैक्टिस नहीं कर सकता.'  बार काउंसिल ने वकील दंपति को जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया है. इसकी जानकारी मद्रास हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को भी दे दी गई है. बार काउंसिल की ओर से कहा गया है 'इस आदेश को रिसीव करने की तारीख से 15 दिन

स्त्री ईश्वर की रचना, उससे नौकरी और पूजा -पाठ में भेदभाव नहीं किया जा सकता :सुप्रीम कोर्ट

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स्त्री ईश्वर की कृति उससे नौकरी और पूजा में भेदभाव नहीं किया जा सकता :सुप्रीम कोर्ट

पत्नी को ठीक से खाना बनाने या घर के कामकाज ठीक से करने को कहना उसके साथ अत्याचार नहीं : हाईकोर्ट

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पत्नी को ठीक से खाना बनाने या घर का काम ठीक से करने को कहना उसके साथ दुर्व्यवहार नहीं है : बॉम्बे हाईकोर्ट  पत्नी को ठीक से खाना बनाने या घरेलू कार्य सही से करने को कहना घरेलू अत्याचार नहीं : बॉम्बे हाईकोर्ट  AUGUST 7, 2018 •Law Expert and Judiciary Exam.   बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में महाराष्ट्र सरकार द्वारा दाखिल एक आपराधिक अपील को खारिज करते हुए अपने फैसले में कहा कि पत्नी को ठीक से खाना बनाने को कहना या फिर घर का काम ठीक से करने को कहना उसके साथ अत्याचार नहीं है। यह अपील सांगली के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के फैसले के खिलाफ दाखिल किया गया था जिसमें विजय शिंदे और उसके माँ-बाप को धारा 498A (क्रूरता) और धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाने) के तहत दर्ज मामले में बरी कर दिया था। न्यायमूर्ति एसवी कोटवाल ने अपने फैसले में विजय शिंदे, उसकी 71 वर्षीया माँ और 86 वर्ष के बाप को बरी किये जाने को सही ठहराया और कहा कि अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ क्रूरता और शिंदे की पत्नी की मौत का कारण बनने का मामला साबित नहीं कर पाया। पृष्ठभूमि शिंदे की शादी 1998 में हुई और उनको एक बेटी है। यह अभियोजन पक्ष था जि

10 रुपये के सिक्के लेने से इनकार करने पर दुकानदार को अदालत ने दी सजा

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दस रूपये के सिक्के न लेना पड़ा मंहगा ,दस रुपये के सिक्के न लेने पर दुकानदार को कोर्ट ने दी सजा 

व्यभिचार मामले में महिला को सजा न देना उसे सजा से बाहर रखना रखना समानता के अधिकार का उल्लंघन :सुप्रीम कोर्ट

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व्याभिचार मामले में महिला को सजा न देना,उसे सजा से बाहर रखना समानता के अधिकार का उल्लंघन : सुप्रीम कोर्ट आईपीसी के सेक्शन 497 के तहत सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के  मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने बुधवार को संकेत दिया कि 157 साल पुराने व्यभिचार कानून भारतीय दंड संहिता की धारा 497 की वैधता पर सात जजों की संविधान पीठ पुनर्विचार करेगी। हालांकि सुनवाई के दौरान संविधान पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि इस कानून के तहत सिर्फ पुरुष को सजा देना और विवाहित महिला को इसमें शामिल ना करना समानता के अधिकार का उल्लंघन है। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा ​​ने आईपीसी धारा 497 की वैधता को चुनौती देने वाली एक रिट याचिका की सुनवाई के दौरान इस ये कहा। अदालत ने महसूस किया कि चूंकि एक और पांच जजों की संविधान पीठ ने पहले से ही इस प्रावधान को बरकरार रखा है इसलिए सात जजों की पीठ को प्रावधान की वैधता का परीक्षण करना चाहिए । इस दौरान याचिकाकर्ता के लिए उपस्थित वरिष्ठ वकील कलीश्वरम राज ने कहा कि जब एक  पुरुष और विवाह

घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत किसी भी तरह की राहत प्राप्त करने दावे के लिए पति-पत्नी के बीच शादी जैसा संबंध होना अनिवार्य : बॉम्बे हाईकोर्ट

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घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत किसी तरह के राहत के दावे के लिए पति-पत्नी के बीच शादी जैसा संबंध होना चाहिए : बॉम्बे हाईकोर्ट  इस मामले में  बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत अगर कोई व्यक्ति राहत की मांग कर रहा है तो इसके इए महिला और उसके पति के बीच संबंध शादी जैसी होनी चाहिए।इस वाद में औरंगाबाद पीठ के न्यायमूर्ति मंगेश पाटिल की पीठ ने 30 वर्षीया एक महिला की आपराधिक पुनरीक्षण याचिका ख़ारिज करते हुए उक्त फैसला दिया। इस महिला ने घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा अधिनयम (डीवी अधिनियम) की धारा 2(f) की सही व्याख्या की मांग की थी क्योंकि अतिरिक्त सत्र जज ने प्रथम श्रेणी के न्यायिक अधिकारी के फैसले को खारिज कर दिया था जिसमें उसने कहा था कि याचिकाकर्ता और प्रतिवादी के बीच संबंध “शादी की तरह” था। पृष्ठभूमि याचिकाकर्ता जैन समुदाय की है और शांताराम उघाडे से शादी में उसको एक बच्चा है। याचिकाकर्ता ने अपनी अपील में कहा है कि उघाडे के साथ उसकी शादी 15 अक्टूबर को एक पारंपरिक तलाक के माध्यम से समाप्त हो गई। इसके बाद याचिकाकर्ता प्रतिवादी से मिली जो कि शादीशुदा था और उसको उस समय एक