यूपी में फिर लागू होगा अग्रिम जमानत का प्रावधान
यूपी में फिर लागू होगा अग्रिम जमानत का प्रावधान, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर जल्द बिल लेकर आएगी सरकार
28 July 2018. Law Expert and Judiciary Exam.
इस बाबत विधेयक को राष्ट्रपति ने 2011 में तकनीकी आधार पर वापस कर दिया था. यूपी में अभी अग्रिम जमानत का प्रावधान नहीं है. अभी तक लोगों को गिरफ्तारी पर अग्रिम जमानत लेने के लिए सीधे हाईकोर्ट जाना पड़ता है. नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में अग्रिम जमानत का प्रावधान न होने के मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई.
सुनवाई के दौरान यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि प्रदेश में अग्रिम जमानत का प्रवाधान को लागू करने के लिए संबंधित बिल को संशोधित किया जा रहा है, और जल्द ही बिल को विधानसभा में फिर से पेश किया जाएगा.
दूसरी तरफ, उत्तराखंड सरकार का कहना था कि यूपी की तर्ज पर उत्तराखंड सरकार भी इसपर काम कर ही है और अगले हफ्ते सरकार अपना रुख साफ करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि इन सब में कितना समय लगेगा? अगली सुनवाई में उत्तराखंड सरकार अपना रुख साफ करे.
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को 6 हफ्ते का दिया था समय पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को 6 हफ्ते में जवाब के लिए आखिरी मौका दिया था. यूपी सरकार ने अग्रिम जमानत के मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट से और समय की मांग की थी.
राज्य सरकार को यह निर्णय लेना था कि राज्य अपराध संहिता (यूपी) संशोधन विधेयक, 2010 को विधानसभा में पेश किया जाए या नहीं. इस विधेयक को राष्ट्रपति ने सितम्बर 2011 में तकनीकी आधार पर वापस कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट इस मामले में वकील संजीव भटनागर द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा है. भटनागर ने अपनी याचिका में कहा है कि अग्रिम जमानत के प्रावधान देश के अन्य राज्यों की तरह ही उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भी लागू होने चाहिए.
यूपी में अभी अग्रिम जमानत का प्रावधान नहीं है. अभी तक लोगों को गिरफ्तारी पर अग्रिम जमानत लेने के लिए सीधे हाईकोर्ट जाना पड़ता है. यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि अग्रिम जमानत का बिल पेश करेंगे.
दरअसल, आपातकाल के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार ने 1976 में CRPC को संशोधित कर अग्रिम जमानत के प्रावधान को वापस ले लिया था. उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के अलावा देश के सभी राज्यों में अग्रिम जमानत के प्रावधान लागू हैं. हालांकि, मायावती की सरकार ने राज्य में 2010 में संशोधन कर अग्रिम जमानत को दोबारा लागू करने संबंधी विधेयक को विधानसभा से पास किया पर राष्ट्रपति ने इसे तकनीकी आधार पर वापस कर दिया था. उसके बाद से उत्तर प्रदेश की सरकार इस विधेयक को जरूरी संशोधन के साथ दोबारा पास नहीं करा पायी ।
दूसरी तरफ, उत्तराखंड सरकार का कहना था कि यूपी की तर्ज पर उत्तराखंड सरकार भी इसपर काम कर ही है और अगले हफ्ते सरकार अपना रुख साफ करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि इन सब में कितना समय लगेगा? अगली सुनवाई में उत्तराखंड सरकार अपना रुख साफ करे.
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को 6 हफ्ते का दिया था समय पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को 6 हफ्ते में जवाब के लिए आखिरी मौका दिया था. यूपी सरकार ने अग्रिम जमानत के मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट से और समय की मांग की थी.
राज्य सरकार को यह निर्णय लेना था कि राज्य अपराध संहिता (यूपी) संशोधन विधेयक, 2010 को विधानसभा में पेश किया जाए या नहीं. इस विधेयक को राष्ट्रपति ने सितम्बर 2011 में तकनीकी आधार पर वापस कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट इस मामले में वकील संजीव भटनागर द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा है. भटनागर ने अपनी याचिका में कहा है कि अग्रिम जमानत के प्रावधान देश के अन्य राज्यों की तरह ही उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भी लागू होने चाहिए.
यूपी में अभी अग्रिम जमानत का प्रावधान नहीं है. अभी तक लोगों को गिरफ्तारी पर अग्रिम जमानत लेने के लिए सीधे हाईकोर्ट जाना पड़ता है. यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि अग्रिम जमानत का बिल पेश करेंगे.
दरअसल, आपातकाल के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार ने 1976 में CRPC को संशोधित कर अग्रिम जमानत के प्रावधान को वापस ले लिया था. उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के अलावा देश के सभी राज्यों में अग्रिम जमानत के प्रावधान लागू हैं. हालांकि, मायावती की सरकार ने राज्य में 2010 में संशोधन कर अग्रिम जमानत को दोबारा लागू करने संबंधी विधेयक को विधानसभा से पास किया पर राष्ट्रपति ने इसे तकनीकी आधार पर वापस कर दिया था. उसके बाद से उत्तर प्रदेश की सरकार इस विधेयक को जरूरी संशोधन के साथ दोबारा पास नहीं करा पायी ।
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