खुली जेल में रखे गए हुए कैदियों को जमानत के बिना भी पैरोल पर छोड़ा जा सकता है : हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर किसी कैदी को खुले जेल में रखा गया है तो उसको उसके रिश्तेदारों की जमानत के बिना भी थोड़े दिनों की छुट्टी दी जा सकती है।
नागपुर पीठ के न्यायमूर्ति पीएन देशमुख और न्यायमूर्ति एमजी गिरत्कर की पीठ ने इस बारे में बॉम्बे हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ के दीपक सुधाकर वाकलेकर बनाम महाराष्ट्र राज्य एवं अन्य मामले में दिए गए फैसले पर भरोसा किया। याचिकाकर्ता ने छोटी अवधि की छुट्टी के लिए आवेदन दिया था पर उसका कोई रिश्तेदार उसके लिए बांड भरने को सामने नहीं आया जिसकी वजह से जेल प्राधिकरण ने उसका आवेदन रद्द कर दिया।
याचिकाकर्ता ने इसके खिलाफ अपील की। पृष्ठभूमि अप्रैल 2017 में याचिकाकर्ता हत्या के आरोप में पुणे की यरवदा जेल के खुले जेल में अपनी उम्र कैद की सजा काट रहा था। उसने 28 दिनों की छुट्टी के लिए आवेदन किया था।
अभियुक्त याचिकाकर्ता के वकील जीएस अग्रवाल ने बताया कि इसके पहले उसके मुवक्किल को खुले जेल में उसके अच्छे व्यवहार को देखते हुए खुले जेल में रखा गया था। उसे पहले भी 28 दिनों की छुट्टी मिली थी और वह छुट्टी बिताने के बाद जेल लौट आया था। इसलिए नियमतः उसे फिर इसकी अनुमति दी जानी चाहिए।
फैसला दीपक सुधाकर वाकलेकर बनाम महाराष्ट्र सरकार एवं अन्य में कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था, “…किसी खुले जेल में रखे गए कैदी को जेल अथॉरिटीज उसके रिश्तेदारों के बांड के बिना भी छुट्टी पर जाने दिया जा सकता है।” इस तरह कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को पैरोल पर छोड़ा जा सकता है और उसने इसकी अनुमति देने वाले अधिकारी को निर्देश दिया कि वह उसे निजी बांड पर जाने की अनुमति दे।
28 July 2018. Law Expert and Judiciary Exam.
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