उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि किसी गवाह द्वारा अदालत में ऐसे आरोपी की पहचान करना, जिसे उसने पहली बार अपराध के दौरान ही देखा हो, कमजोर सबूत है


उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि किसी गवाह द्वारा अदालत में ऐसे आरोपी की पहचान करना, जिसे उसने पहली बार अपराध के दौरान ही देखा हो, कमजोर सबूत है
गवाह से आरोपी की पहचान को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दिया अहम आदेश, शिनाख्त परेड को लेकर कही ये बात
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सुप्रीम कोर्ट. 
Supreme Court News: 

Last Updated:October 23, 2021, 16:26 IST
नई दिल्ली
पीठ ने 22 अक्टूबर को अपने आदेश में कहा कि यह अच्छी तरह से स्थापित है कि शिनाख्त परेड जांच का एक हिस्सा है और यह ठोस सबूत नहीं है

नई दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि किसी गवाह द्वारा अदालत में ऐसे आरोपी की पहचान करना, जिसे उसने पहली बार अपराध के दौरान ही देखा हो, कमजोर सबूत है, खासकर उस स्थिति में जब अपराध और बयानों के दर्ज होने की तारीखों में लंबा अंतराल हो. उच्चतम न्यायालय ने यह टिप्पणी उन चार लोगों की अपील पर की जिन्हें स्पिरिट की ढुलाई करने पर केरल आबकारी कानून की धारा 55 (ए) के तहत दोषी ठहराया गया था.

अभियोजन पक्ष का आरोप था कि चारों लोगों ने एक ट्रक में प्लास्टिक के 174 डिब्बों में कुल 6,090 लीटर स्पिरिट की बिना अनुमति के ढुलायी की और ट्रक का नंबर प्लेट नकली था. न्यायालय ने एक गवाह की गवाही को खारिज कर दिया क्योंकि उसने कहा था कि वह ऐसे लोगों की पहचान करने में सक्षम नहीं है जिन्हें उसने 11 साल पहले देखा था. हालांकि, गवाह ने दो आरोपियों की पहचान कर ली थी, जिन्हें उसने घटना की तारीख पर 11 साल से भी अधिक समय पहले पहली बार देखा 

‘जिस आरोपी को अपराध के समय पहली बार ही देखा हो, कमजोर सबूत’
न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति अभय एस ओका की पीठ ने कहा, “किसी गवाह द्वारा अदालत में ऐसे आरोपी की पहचान करना, जिसे उसने पहली बार अपराध के दौरान ही देखा हो, कमजोर सबूत है, खासकर तब, जब अपराध और बयानों में अन्तर है

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