पति द्वारा शिक्षा के अधिकार से वंचित रखने को आधार मान कर कोर्ट ने पीड़ित पत्नी का तलाक स्वीकार किया
प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर की पारिवारीक न्यायलय ने पत्नी की याचिका पर पति द्वारा शिक्षा के अधिकार से वंचित रखने को आधार मान कर पीड़ित पत्नी का तलाक स्वीकार किया है।
पीड़िता के एडवोकेट प्रति मेहना ने बताया कि पीड़िता की शादी 13 साल की छोटी उम्र में कर दी गई थी जिसके बाद से ही पति द्वारा उसे लगातार शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा था।
साथ ही पीड़िता पढ़ाई करना चाहती थी लेकिन पति व ससुराल पक्ष द्वारा पीड़िता को शिक्षा से वंचित रख गया और मारपीट किया जाता रहा जिसके बाद पीड़िता द्वारा पारिवारिक न्यालय में याचिका दर्ज की गई थी जिसमें पारिवारिक न्यायलय प्रवीणा व्यास द्वारा पीड़िता को शिक्षा के अधिकार से वंचित रखना और क्रूरता करने को लेकर पीड़िता को तलाक मंजूर किया है। गौरतलब है कि यह अपने आप में पहला मामला है जिसमें किसी पारिवारिक न्यायलय ने शिक्षा से वंचित रखने को आधार मानकर तलाक की याचिका मंजूर किया है। आपको बता दे पीड़िता की जब शादी की गई थी तब उसकी उम्र 13 साल थी वह रीवा की रहने वाली है और इंदौर में रह कर पढ़ाई कर रही है।
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