नकली नोट या नकली मुद्रा का उपयोग भर करना कोई अपराध नहीं : हाईकोर्ट

नकली नोट या नकली मुद्रा का उपयोग भर करना कोई अपराध नहीं है : बॉम्बे हाईकोर्ट.बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक महिला के खिलाफ सुनाए गई सजा को निरस्त कर दिया है जिसके पास से कुछ नकली मुद्रा बरामद की गई थी और नोटबंदी के दौरान वह इसे बैंक में जमा कराने लाई थी। न्यायमूर्ति रंजीत मोरे और भारती एच डांगरे की पीठ ने कहा की नकली मुद्रा या बैंक नोट का उपयोग-मात्र अपराध नहीं है और इसके लिए उसे धारा 489B के तहत सजा नहीं दी जा सकती क्योंकि इसमें अपराध करने की मंशा नहीं होती। यह महिला जो नोट जमा कराने आई थी उसमें हजार रुपए के तीन नोट और 500 के दो नोट, कुल 4000 रुपए नकली थे और बैंक ने इस महिला संस्कृति जयन्तीलाल सालिया के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई और उसे आईपीसी की धारा 489B के तहत दोषी करार दिया गया। यह स्पष्ट है कि महिला ने नोटबंदी के कारण इस नोट को बैंक में जमा कराने आई और सिर्फ इस वजह से कि उसके पास ये नोट पाए गए, उसे इस धारा के तहत दोषी करार नहीं दिया जा सकता क्योंकि उसके पास इस बात की कोई ‘जानकारी’ नहीं थी। पीठ ने कहा, “…उक्त अपराध की मुख्य बात यह है कि जो व्यक्ति नोट प्राप्त कर रहा है उसको पता है कि यह नोट नकली है। इस बात को किसी भी संदेह के परे साबित करने की ज़िम्मेदारी अभियोजन की है कि उक्त नोट नकली है”। पीठ ने महिला के खिलाफ मामले को निरस्त कर दिया और कहा कि उसको दोषी ठहराना कानून का दुरुपयोग है।“बैंक में 19 दिसंबर 2016 को जमा करने के लिए लाए गए बैंक नोट के नकली होने की जानकारी जमाकर्ता को होने की बात को साबित कर पाने का कोई सबूत नहीं होने के बाद, याचिकाकर्ता को आईपीसी की धारा 489B के तहत दोषी करार नहीं दिया जा सकता,” पीठ ने कहा।  

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