सास-ससुर की संपत्ति पर बहू का कोई अधिकार नहीं : दिल्ली हाईकोर्ट

सास-ससुर की संपत्ति पर बहू का कोई हक नहीं : दिल्ली हाईकोर्ट .दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में कहा है कि  सास-ससुर की संपत्ति पर बहू का कोई हक नहीं, दिल्ली हाई कोर्ट ने दी व्‍यवस्‍था, हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों की देखरेख व कल्याण के लिए बने नियमों को ध्यान में रखते हुए वरिष्ठ नागरिकों को अपने घर में शांति से रहने का अधिकार है।

नई दिल्ली । दिल्ली हाईकोर्ट । October 14, 2018 .Law Expert and Judiciary Exam. 

दिल्ली हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है। हाई कोर्ट ने फैसला दिया है कि सास-ससुर की चल या अचल संपत्ति में बहू का कोई अधिकार नहीं है। फिर चाहें वह संपत्ति पैतृक हो या खुद से अर्जित की गई हो। ये अपील महिला ने जिलाधिकारी के द्वारा ससुर का घर खाली करने के आदेश के खिलाफ दायर की थी। इससे पहले इसी साल जुलाई में एकल पीठ ने मामले की सुनवाई की थी और जिलाधिकारी के आदेश को बरकरार रखा था। एकल पीठ के आदेश के खिलाफ महिला ने पुन: डबल बेंच में अपील की थी। इसी मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने ये आदेश सुनाया है।

 कोर्ट ने जिलाधिकारी और एकल पीठ के आदेश को बरकरार रखने का फैसला सुनाया है। इस मामले की सुनवाई दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन और जस्टिस वी. कामेश्वर राव की पीठ ने की। उन्होंने अपने फैसले में कहा है कि ऐसी कोई भी चल या अचल, मूर्त या अमूर्त या ऐसी किसी भी संपत्ति जिसमें सास-ससुर का हित जुड़ा हुआ हो, उस पर बहू का कोई अधिकार नहीं है। पीठ ने कहा है कि यह बात मायने नहीं रखती है कि संपत्ति पर सास-ससुर का मालिकाना हक कैसा है।  

हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों की देखरेख व कल्याण के लिए बने नियमों को ध्यान में रखते हुए वरिष्ठ नागरिकों को अपने घर में शांति से रहने का अधिकार है। सास-ससुर को अपने घर को बेटे-बेटी या कानूनी वारिस ही नहीं, बल्कि बहू से भी घर खाली कराने का अधिकार है। हाईकोर्ट ने महिला की उन दलीलों को सिरे से खारिज कर दिया जिसमें उसने माता-पिता और वरिष्ठ नागरिक के देखरेख व कल्याण के लिए बने नियम का हवाला देते हुए कहा था कि चूंकि उसने ससुर से गुजाराभत्ता नहीं मांगा है, इसलिए वह उससे घर खाली नहीं करा सकते हैं। इतना नहीं, हाईकोर्ट ने महिला की उन दलीलों को भी ठुकरा दिया जिसमें कहा गया था कि कानून के तहत उसके ससुर सिर्फ अपने बेटे-बेटी व कानूनी वारिस से ही घर खाली करा सकते हैं।  

वैसे बता दें कि याचिका दायर करने वाली महिला अपने पति व सास-ससुर के खिलाफ दहेज उत्पीड़न व अन्य आरोपों में मुकदमा दर्ज करा चुकी है। ये मामले अदालत में लंबित हैं। महिला का उसके पति से तलाक का भी मुकदमा चल रहा है। इसी बीच महिला के पति का उसके घर से अलगाव हो गया। इसके बाद ससुर ने जिलाधिकारी के सामने अर्जी दाखिल की और आरोप लगाया कि उनकी बहू उन्हें प्रताड़ित कर रही है। ससुर ने ये भी मांग की उनकी बहू से उनका घर खाली करवाया जाए। तथ्यों और साक्ष्यों का अध्ययन करने के बाद जिलाधिकारी ने महिला को घर खाली करने का आदेश दिया। महिला ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

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