वैसे बता दें कि याचिका दायर करने वाली महिला अपने पति व सास-ससुर के खिलाफ दहेज उत्पीड़न व अन्य आरोपों में मुकदमा दर्ज करा चुकी है। ये मामले अदालत में लंबित हैं। महिला का उसके पति से तलाक का भी मुकदमा चल रहा है। इसी बीच महिला के पति का उसके घर से अलगाव हो गया। इसके बाद ससुर ने जिलाधिकारी के सामने अर्जी दाखिल की और आरोप लगाया कि उनकी बहू उन्हें प्रताड़ित कर रही है। ससुर ने ये भी मांग की उनकी बहू से उनका घर खाली करवाया जाए। तथ्यों और साक्ष्यों का अध्ययन करने के बाद जिलाधिकारी ने महिला को घर खाली करने का आदेश दिया। महिला ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
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परीक्षार्थी को आरटीआई अधिनियम के अंतर्गत अपनी उत्तर पुस्तिका का निरीक्षण करने का अधिकार : सीआईसी(केन्द्रीय सूचना आयोग)
परीक्षार्थी को आरटीआई अधिनियम के तहत अपनी उत्तर पुस्तिका का निरीक्षण करने का अधिकार : सीआईसी(केन्द्रीय सूचना आयोग ) दिनांक 2 2 जून 2018. दिल्ली.↔ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ केन्द्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने✔ सीबीएसई और अन्य बनाम आदित्य बंदोपाध्याय और अन्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निर्भर रहते हुए हाल ही में कहा है कि एक परीक्षार्थी को सूचना अधिकार अधिनियम, 2015 के तहत अपने उत्तर पत्रों का निरीक्षण करने का अधिकार है। सर्वोच्च न्यायालय ने आदित्य बंदोपाध्याय के मामले में फैसला सुनाया था कि अधिनियम की धारा 2 (एफ) के तहत एक सूचना पत्र ‘सूचना’ के दायरे में आ जाएगा और छात्रों के पास अधिनियम के तहत उनकी मूल्यांकन की गई उत्तर पुस्तिका तक पहुंचने का मौलिक और कानूनी अधिकार है। सर्वोच्च न्यायालय ने देखा था, “जब कोई उम्मीदवार परीक्षा में भाग लेता है और प्रश्न के जवाब में अपने उत्तर लिखता है और परिणाम के मूल्यांकन और घोषणा के लिए इसे जांच निकाय को प्रस्तुत करता है तो उत्तर प...
Kroa Kar is mamle Ka judgement ki copy uplabdh karay
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