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सितंबर, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अनूठा आदेशः तलाक ले लो, पर ताउम्र दोस्त बने रहो : सुप्रीम कोर्ट

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सुप्रीम कोर्ट ने छह महीने के कूलिंग पीरियड को समाप्त किया ,व कहा ,तलाक ले लो पर ताउम्र दोस्त बने रहो : सुप्रीम कोर्ट 

अगर रेप पीड़िता ने बयान बदला तो उसके खिलाफ भी चलेगा मुकदमा : सुप्रीम कोर्ट

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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला -अगर आरोपी के खिलाफ बदला बयान तो रेप पीड़िता के खिलाफ भी चलेगा मुकदमा 

विवाहेत्तर संबंध/व्यभिचार अब अपराध नहीं, CJI बोले -पति नहीं है पत्नी का मालिक

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IPC497: एडल्टरी अब अपराध नहीं, पति नहीं है पत्नी का मालिक :सुप्रीम कोर्ट 

मोबाईल व बैंक खाते में आधार कार्ड अनिवार्य नहीं : सुप्रीम कोर्ट

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मोबाइल, बैंक खाते, स्कूल एडमिशन में आधार कार्ड अनिवार्य नहीं :सुप्रीम कोर्ट 

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला SC-ST को प्रमोशन में आरक्षण नहीं

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सरकारी नौकरियों में SC-ST कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण नहीं :सुप्रीम कोर्ट 

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला SC-ST को प्रमोशन में आरक्षण नहीं

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सरकारी नौकरियों में SC-ST कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण नहीं : सुप्रीम कोर्ट. सरकार और आरक्षण समर्थकों ने 2006 के एम नागराज के फैसले को पुनर्विचार के लिए सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ को भेजे जाने की मांग की थी।   नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट । सरकारी नौकरियों में प्रमोशन में आरक्षण के मामले को सुप्रीम कोर्ट ने सात जजों की बेंच के पास भेजे जाने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने नागराज मामले में फैसले को सही बताया, उस फैसले पर फिर से विचार की जरूरत को खारिज किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकारी नौकरियों में प्रमोशन में एससी/एसटी आरक्षण के लिए कोई डेटा जमा करने की जरूरत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रमोशन में आरक्षण मामले में बेहद अहम फैसला दिया है। प्रमोशन में आरक्षण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नागराज जजमेंट में दी व्यवस्था को बैड इन लॉ कहा जिसमें आरक्षण से पहले पिछड़ेपन का डेटा सरकार से एकत्र करने को कहा गया था। 2006 में नागराज से संबंधित वाद में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने कहा था कि सरकार एससी/एसटी को प्रमोशन में आरक्षण दे सकती है, लेकिन शर्त लगाई थी कि प्रमोशन में आरक्ष

कर्मचारी नहीं है राजनेता, वकालत करने से नहीं रोक सकते : सुप्रीम कोर्ट

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सांसद और विधायकों, राजनेताओं को बतौर वकील कोर्ट में प्रेक्टिस करने से नहीं रोका जा सकता : सुप्रीम कोर्ट 

दागी नेताओं के चुनाव लड़ने पर रोक नहीं, संसद बनाए कानून : सुप्रीम कोर्ट

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दागी नेताओं के चुनाव लड़ने पर रोक नहीं, सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने कहा- संसद बनाए कानून । नई दिल्ली .Tue, 25 Sep 2018 . सुप्रीम कोर्ट दागी नेताओं के चुनाव लड़ने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने आज अपना फैसला सुना दिया। कोर्ट ने कहा कि चुनाव लड़ने से पहले प्रत्येक उम्मीदवार अपना आपराधिक रिकॉर्ड निर्वाचन आयोग के समक्ष घोषित करे। साथ ही कोर्ट ने सभी राजनीतिक दलों से भी कहा कि वे अपने उम्मीदवारों के संबंध में सभी सूचनाएं अपनी वेबसाइट पर अपलोड करें।  मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि नागरिकों को अपने उम्मीदवारों का रिकॉर्ड जानने का अधिकार है। पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से यह फैसला सुनाया। इस पीठ में न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा शामिल थे। पीठ ने अपने फैसले में संसद को निर्देश दिया कि वह राजनीति को अपराधीकरण से मुक्त कराने के लिए कानून बनाने पर विचार करे। साथ ही न्यायालय ने कहा कि सभी राजनीतिक दलों से जुड़े उम्मीदवारों के रिकॉर्ड का प्रिंट और इलेक्ट्र

सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा करने वाला व्यक्ति पंचायत चुनाव के लिए अयोग्य : सुप्रीम कोर्ट

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ग्राम पंचायत की जमीन पर अवैध कब्जा कर रहने वाला व्यक्ति पंचायत चुनाव के लिए अयोग्य :सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट ने अपने पूर्व के फैसले में दी गई व्यवस्था को पलटते हुए कहा है कि जो व्यक्ति कब्जाई हुई संपत्ति को साझा करते हुए उस पर रह रहा है वह पंचायत सदस्य के लिए अयोग्य माना जाना जाएगा।मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने यह फैसला सागर पांडुरंग धुंडारे के मामले में दिए गए निर्णय को पलटते हुए दिया। पीठ ने कहा कि यदि सदस्य अतिक्रमित भूमि पर बना हुआ है तो यह हितों का टकराव है। यदि हम यह कहें कि यह सिर्फ उस पर लागू होगा जिसने पहले अतिक्रमण किया है तो यह मूर्खता होगी। नवंबर 2017 में पांडुरंग मामले में सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने कहा था कि सरकारी या सार्वजिनक भूमि पर मूल अतिक्रमणकर्ता ही अयोग्यता के दायरे में आएगा। उसके परिजन या परिवार के अन्य सदस्य इसके दायरे में नहीं आएंगे। कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र विलेज पंचायत एक्ट, 1958 की धारा 14 (1) (जे 3) में लिखा गया शब्द ‘व्यक्ति’ को तंग नजरिये से व्याख्यायित नहीं किया जाना चाहिए। क्योंकि इसका नतीजा यह ह

भारत में प्रति दस लाख लोगों पर हैं केवल 19 न्यायाधीश : कानून मंत्रालय के नवीनतम आकड़े

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भारत में प्रति दस लाख लोगों पर हैं 19 न्यायाधीश : कानून मंत्रालय के आंकड़े नई दिल्ली।: Mon, 24 Sep 2018  भारत में प्रति दस लाख लोगों पर 19 न्यायाधीश हैं और देश में 6000 से अधिक न्यायाधीशों की कमी है जिनमें से 5000 से अधिक न्यायाधीशों की निचली अदालतों में कमी है। कानून मंत्रालय के आंकड़े के मुताबिक जनसंख्या का अनुपात प्रति 10 लाख लोगों पर 19.49 न्यायाधीश हैं।  यह आंकड़ा उस दस्तावेज का हिस्सा है जिसे संसद में चर्चा के लिए मार्च में तैयार किया गया था।  दस्तावेज कहता है कि अधीनस्थ अदालतों में 5748 न्यायिक अधिकारियों की कमी है और 24 हाई कोर्ट में 406 खाली पद हैं। निचली अदालतों में फिलहाल 16,726 न्यायिक अधिकारी हैं जबकि वहां 22,474 न्यायिक अधिकारी होने चाहिए थे। उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की मान्य संख्या 1079 हैं जबकि वहां मात्र 673 न्यायाधीश हैं। उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 31 हैं और वहां छह रिक्तियां हैं।    इसी तरह, उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालयों और निचली अदालतों में न्यायाधीशों के 6160 पद खाली हैं। न्यायाधीश जनसंख्या अनुपात पर बहस को अप्रैल, 2016 में तत

उत्तराखंड सरकार शीघ्र अग्रिम जमानत के प्रावधान को बहाल करे : उत्तराखंड हाईकोर्ट

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उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सरकार से अग्रिम जमानत के प्रावधान को बहाल करने को कहा । उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि वह अग्रिम जमानत के प्रावधान को बहाल करे।  कोर्ट ने कहा, “मेरे विचार में,उत्तराखंड राज्य में अग्रिम जमानत प्राप्त करने का प्रावधान होना चाहिए।” “यह अदालत उत्तराखंड राज्य को सुझाव देता है कि वह उत्तर प्रदेश अधिनयम 1976 की धारा 9 को हटा दे और हाईकोर्ट एवं सत्र अदालतों को अग्रिम जमानत देने का अधिकार दे,” न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह ने कहा। न्यायमूर्ति सिंह ने रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया की वह इस आदेश की एक प्रति राज्य के प्रधान सचिव (गृह) और प्रधान सचिव (क़ानून सह एलआर) को तत्काल भेजे। कोर्ट ने इन सचिवों से कहा है कि वे इस मामले को अविलम्ब मुख्यमंत्री के समक्ष रखें ताकि इस बारे में अध्यादेश जारी किया जा सके। कोर्ट ने जुलाई 2018 में हरिद्वार में ठगी, आपराधिक धमकी आदि के मामले में दायर प्राथमिकी को निरस्त करने को लेकर एक अपील की सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। याचिका में कोर्ट से मांग की गई थी कि वह याचिकाकर्ता को गिरफ्तार नहीं करने का पुलिस को निर्देश दे। याचिकाकर्ता

सङक एक्सीडेंट में शामिल वाहन का बीमा न हो तो वाहन को बेचकर पीड़ित को मुआवजा दिया जाए : सुप्रीम कोर्ट

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बिना बीमा वाले वाहन से दुर्घटना होने पर उसे बेचकर बंटेगा मुआवजा : सुप्रीम कोर्ट.  सड़क दुर्घटना में शामिल वाहन का बीमा न हो तो वाहन को बेचकर पीड़ित को मुआवजा दिया जाए :सुप्रीम कोर्ट । सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि सड़क दुर्घटना में शामिल वाहन का अगर बीमा न हो तो उस वाहन को बेचकर पीड़ित को मुआवजा दिया जाना चाहिए। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने देश के सभी राज्यों को 12 हफ्ते में मोटर वाहन अधिनियम में जरूरी बदलाव इस प्रावधान को शामिल करने का निर्देश दिया है। हालांकि दिल्ली में यह प्रावधान पहले से ही है। पीठ ने कहा कि अगर किसी सड़क दुर्घटना में शामिल वाहन का बीमा न हो तो उस वाहन की नीलामी की जाए और नीलामी से मिली रकम को मोटर वाहन दुर्घटना दावा ट्रिब्यूनल(MACT) में जमा कराया जाए। फिर यह रकम सड़क दुर्घटना पीड़ित को मुआवजे के तौर पर दी जाए। दरअसल पीठ ने पाया कि  उन दुर्घटनाओं में पीड़ितों को मुआवजा नहीं मिल पाता जिनमें   दुर्घटना में शामिल वाहन का बीमा न हो। पीठ ने इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के 2010 के फैसले को दोहराया जिसमें कहा गया था कि दुर्घट

सुप्रीम कोर्ट ने दहेज उत्पीड़न कानून में किया बड़ा बदलाव , शिकायत मिलते ही होगी तुरंत गिरफ्तारी

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498A : सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला पलटा,शिकायत मिलते ही होगी तुरंत गिरफ्तारी 

इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला -SC-ST ACT में बिना नोटिस गिरफ्तारी नहीं

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लाखों रुपये महीने कमा रही पत्नी भरण-पोषण की अधिकारी नहीं : कोर्ट

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