पत्नी के एटीएम कार्ड को नहीं इस्तेमाल कर सकता पति : कोर्ट

पत्नी के एटीएम कार्ड को नहीं इस्तेमाल कर सकता पति : कोर्ट

Court Says Husband Can't Use Wife's ATM Card 
                              Thu Jun 07 2018 नई दिल्ली ↔
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अगर आप अपना एटीएम कार्ड और पिन नंबर किसी दूसरे को देकर पैसा निकलवाते हैं तो सावधान हो जाइए। ऐसा हो सकता है कि आप को अपने पैसे से हाथ धोना पड़ जाए। बेंगलुरु की एक महिला को ऐसा करना महंगा पड़ गया। दरअसल महिला ने अपना डेबिट कार्ड और पिन नंबर पति को देकर एटीएम से पैसे निकालने के लिए भेजी थी। लेकिन इन पैसों को पाने के लिए उसे साढ़े तीन साल तक संघर्ष करना पड़ा, फिर भी उसके हाथ कुछ नहीं आया। पीड़िता को बैंक नियम के चलते 25,000 रुपये गंवाने पड़े। बेंगलुरु के मराठाहल्ली इलाके में रहने वाली वंदना नाम की महिला ने 14 नवंबर, 2013 को अपने पति राजेश को एटीएम कार्ड देकर पैसे निकालने भेजा। वंदना ने कुछ दिन पहले ही एक बच्चे को जन्म दिया था, वह मैटर्निटी लीव पर चल रही थीं। पति पैसे निकालने के लिए एटीएम गया और कार्ड को स्वाइप किया। मशीन से एक पर्ची निकली कि खाते से पैसे कट गए हैं, लेकिन एटीएम से पैसा नहीं निकला। पैसा नहीं निकलने के बाद राजेश ने तुरंत एसबीआइ के कॉल सेंटर पर फोन किया और पूरी घटना की जानकारी दी। उस समय कॉल सेंटर की तरफ से कहा गया कि यह एटीएम की फॉल्ट थी और 24 घंटों में पैसा वापस खाते में रिफंड कर दिया जाएगा। 24 घंटे बाद भी पैसा रिफंड न होने पर राजेश ने एसबीआइ की ब्रांच में शिकायत दर्ज कराई। लेकिन उनको उस वक्त झटका लगा, जब एसबीआइ ने यह कहते हुए केस बंद कर दिया कि ट्रांजेक्शन सही था और उपभोक्ता को पैसा मिल गया है। इसके बाद राजेश ने एटीएम में लगे सीसीटीवी फुटेज को निकलवाया, जिसमें यह साफ दिख रहा था कि मशीन से पैसा नहीं निकला था। उन्होंने बैंक को फुटेज दिखाई और शिकायत की। बैंक की जांच समिति ने यह कहते हुए पीड़ित की मांग को ठुकरा दिया कि वंदना जिनका बैंक में अकाउंट हैं, फुटेज में नहीं दिखाई दे रही हैं और उनकी जगह कोई दूसरा (पति) पैसा निकालता नजर आ रहा है। बैंक ने कहा कि खाताधारक ने किसी और के साथ अपना पिन साझा किया, जो कि उनके नियम के खिलाफ है इसलिए केस बंद कर दिया गया। इसके बाद वंदना ने 21 अक्टूबर 2014 को उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाया। महिला ने अपनी शिकायत में कहा कि उन्होंने हाल ही में बच्चे को जन्म दिया था और वह घर से बाहर जाने की हालत में नहीं थी। इस वजह से उन्होंने पति को एटीएम से पैसे निकालने के लिए भेजा था। एटीएम से पैसा तो नहीं निकला, केवल ट्रांजैक्शन होने की स्लीप निकली। कोर्ट में यह केस साढ़े तीन सालों तक चला। पीड़ित ने कोर्ट में मांग की थी कि एसबीआइ को उनके 25 हजार रुपये वापस करने चाहिए, लेकिन बैंक ने अपने नियमों का हवाला देते हुए कहा कि किसी दूसरे के साथ पिन नंबर साझा करना नियमों का उल्लंघन है। कोर्ट ने बैंक की बात को सही माना और 29 मई, 2018 को फैसला देते हुए कहा कि खुद नहीं जा सकने की हालत में वंदना को सेल्फ चेक या फिर अधिकार पत्र देकर पति को पैसा निकालने के लिए भेजना चाहिए। कोर्ट ने यह आदेश देते हुए केस को खत्म कर दिया।

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