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मई, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गुरुवार को घोषित किया जाएगा CLAT -2018 परीक्षा परिणाम

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सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गुरुवार को घोषित किया जाएगा CLAT-2018 परीक्षा परिणाम

मुकदमे के लिए मेहनती और प्रभावी वकील सुनिश्चित कराना ट्रायल कोर्ट का कर्तव्य : हाईकोर्ट

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मुकदमे के लिए मेहनती और प्रभावी बचाव व वकील सुनिश्चित कराना ट्रायल कोर्ट का कर्तव्य : इलाहाबाद हाईकोर्ट  रिकॉर्ड पर वकील की उपस्थिति का मतलब प्रभावी, वास्तविक और वफादार उपस्थिति है, न कि केवल एक असाधारण, दिखावा या आभासी उपस्थिति, अगर फर्जीवाड़ा नहीं है तो, कोर्ट ने कहा।   हत्या के मामले में दोबारा ट्रायल का आदेश देते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि आरोपी के लिए एक मेहनती और प्रभावी बचाव वकील की उपलब्धता सुनिश्चित करने का ट्रायल कोर्ट का कर्तव्य है, भले ही उसके पास रिकॉर्ड पर प्रतिनिधित्व करने वाले वकील हों, लेकिन वास्तव में वो दिखावे के लिए हैं।  इस मामले में  अभियुक्त को गवाह से जिरह करने का मौका ट्रायल जज द्वारा बंद कर दिया गया जिसमें कहा गया कि पर्याप्त मौकों के बावजूद अभियुक्त ने इसका लाभ नहीं उठाया। इस मामले में सभी चार गवाहों की जांच नहीं की गई थी और अदालत ने अभियुक्त को दोषी ठहराया और उसे उम्रकैद की सजा सुनाई। आरोपी द्वारा अपील पर विचार करते हुए न्यायमूर्ति विजय लक्ष्मी और न्यायमूर्ति जे जे मुनीर की एक पीठ ने देखा कि इस मामले में यह स्पष्ट है कि अभियुक्त को उसके वकील

पत्नी को पति का वेतन जानने का हक, नहीं छिपा सकते वेतन : हाईकोर्ट

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पत्नी को पति का वेतन  जानने का हक , नहीं छिपा सकते वेतन  : हाईकोर्ट

ब्रेकिंग न्यूज : मेडिकल लगाकर अफसर बनने वाले चिन्हित #यूपीपीएससी_घोटाला

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पर्दाफाश :  मेडिकल की आड़ में पीसीएस अफसर बनने वाले  सीबीआई द्वारा चिन्हित 

दिवानी या आपराधिक मामलों में स्थगन छ्ह माह से अधिक नहीं : सुप्रीम कोर्ट

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दीवानी या आपराधिक प्रक्रिया में स्थगन छह माह से अधिक अवधि के लिए नहीं; इससे आगे स्थगन की अनुमति सिर्फ स्पीकिंग आर्डर में ही : सुप्रीम कोर्ट   2018 • सुप्रीम कोर्ट  कोर्ट ने निर्देश दिया है कि सभी लंबित मामलों में जहाँ दीवानी या आपराधिक मामलों में स्थगन प्रभावी है, हर मामले में स्थगन की यह अवधि आज से छह महीना बीत जाने के बाद समाप्त हो जाएगी बशर्ते कि अपवादस्वरूप किसी मामले में स्पीकिंग आर्डर में इसकी अनुमति दी गई हो।  न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोएल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि भविष्य में जब भी स्थगन की अनुमति दी जाती है, छह महीने की अवधि के बीत जाने पर यह समाप्त हो जाएगी। पीठ ने एशियन रिसर्फेसिंग ऑफ़ रोड एजेंसी प्राइवेट लिमिटेड बनाम सेंट्रल ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टीगेशन के मामले में दो जजों की पीठ द्वारा दिए गए संदर्भ पर जबाव देते हुए यह बात कही। यह मामला भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत अभियोग निर्धारित करने के आदेश को चुनौती पर हाई कोर्ट द्वारा गौर करने के न्यायिक अधिकार क्षेत्र और इन मामलों में स्थगन देने से संबंधित है।  अपने फैसले में न्यायमूर्ति गोएल ने अपने और न्यायमूर्त

क्या है जम्मू-कश्मीर में लागू अनुच्छेद 35A, एक विवादास्पद प्रावधान । अवश्य जाने

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✔✔क्या है जम्मू-कश्मीर में लागू अनुच्छेद 35A ➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖   ▶ -सुप्रीम कोर्ट में 2014 में अनुच्छेद 35A को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की गई थी और इस प्रावधान को चुनौती दी गई थी. -सुप्रीम कोर्ट ने इस पर केन्द्र सरकार और जम्मू कश्मीर सरकार से जवाब मांगा. ↔-इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि अनुच्छेद 35A पर व्यापक स्तर पर बहस करने की ज़रूरत है. ↔-सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को 3 न्यायाधीशों की बेंच को ट्रांस्फर कर दिया और इस मामले के निपटारे के लिए 6 हफ्ते की समय सीमा तय कर दी. ↔-अब ये माना जा रहा है कि सितबंर के पहले हफ्ते में सुप्रीम कोर्ट इस विवादित अनुच्छेद पर फैसला सुना सकता है. ↔-इस अनुच्छेद को हटाने के लिए एक दलील ये भी दी जा रही है कि इसे संसद के जरिए लागू नहीं करवाया गया था. ↔-14 मई 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने एक आदेश पारित किया था. इस आदेश के जरिए भारत के संविधान में एक नया अनुच्छेद 35 (A) जोड़ दिया गया. ↔-अनुच्छेद 35 A, धारा 370 का ही हिस्सा है. अनुच्छेद 35 A के मुताबिक जम्मू कश्मीर का नागरिक तभी राज्य का हिस्सा माना जाएगा जब व

महिला के खिलाफ व्यभिचार का केस दर्ज करने का प्रावधान क्यों नहीं : सुप्रीम कोर्ट

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महिला के खिलाफ व्यभिचार का केस दर्ज करने का प्रावधान क्यों नहींः सुप्रीम कोर्ट ➡➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖ नई दिल्ली : शादी के बाद अवैध संबंध से जुड़े कानूनी प्रावधान को गैर संवैधानिक करार दिए जाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है। याचिका में कहा गया है कि आईपीसी की धारा-497 के तहत जो कानूनी प्रावधान है वह पुरुषों के साथ भेदभाव वाला है। अगर कोई शादीशुदा पुरुष किसी और शादीशुदा महिला के साथ उसकी सहमति से संबंधित बनाता है तो ऐसे संबंध बनाने वाले ⏩पुरुष के खिलाफ उस महिला का पति व्यभिचार का केस दर्ज करा सकता है लेकिन संबंध बनाने वाली महिला के खिलाफ मामला दर्ज करने का प्रावधान नहीं है जो भेदभाव वाला है और इस प्रावधान को गैर संवैधानिक घोषित किया जाए।  याचिकाकर्ता के वकील के. राज की ओर से इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में भारत सरकार के गृह मंत्रालय को प्रतिवादी बनाया गया है। याचिकाकर्ता ने कहा है कि पहली नजर में धारा-497 संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करती है। अगर दोनों आपसी रजामंदी से संबंध बना

Police Investigation Procedure IPC ,CrPC, Police Act

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Police Investigation Procedure

गर्भवती LL.B छात्रा को परीक्षा में बैठने देने से सुप्रीम कोर्ट का इंकार

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CLAT के खिलाफ याचिकाएं : सुप्रीम कोर्ट ने छात्रों से कहा, पैनल में करें शिकायत

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गुजरात हाईकोर्ट ने पति के खिलाफ वैवाहिक बलात्कार के लिए IPC 354 के तहत मुकदमा चलाने की इजाजत दी

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गुजरात हाईकोर्ट ने पति के खिलाफ वैवाहिक बलात्कार के लिए IPC 354 के तहत मुकदमा चलाने की इजाजत दी ⏩ APRIL 8, 2018 .⏩ एक ऐतिहासिक फैसले में  गुजरात उच्च न्यायालय ने 2 अप्रैल को कहा है कि पत्नी की लज्जाभंग करने के मामले में पति पर भारतीय दंड संहिता की धारा 354 के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है।↔  धारा 354 के तहत, किसी व्यक्ति को अपनी पत्नी की लज्जा भंग करने पर दोषी ठहराया जा सकता है। अगर पति अपनी पत्नी के प्रति अपने स्नेह को जनता के बीच में निर्दयी ढंग से व्यक्त करता है तो इस तरह का आचरण एक अपवित्र व्यवहार के रूप में होगा और सार्वजनिक नैतिकता के खिलाफ होगा। ये धारा 354 के दायरे में होगा।  पति द्वारा प्रेम और स्नेह के अत्यधिक व्यक्तिगत कृत्य को अगर सार्वजनिक रूप से किया जाता है तो वो पत्नी को पसंद हो भी सकता है या नहीं लेकिन वह सार्वजनिक नैतिकता के खिलाफ हो सकता है और धारा 354 के तहत आ सकता है क्योंकि ऐसी सभी स्थितियों में इसकी आवश्यक सामग्रियां मौजूद हैं,  उच्च न्यायालय के फैसले में   न्यायमूर्ति जेडी पारदीवाला ने लिखा है। पति द्वारा किए गए ऐसे निजी कृत्य निजी तौर पर भी पत

जुलाई में होगी पीसीएस 2017 की मुख्य परीक्षा

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अयोध्या रामजन्म भूमि मामला : बाबरी मस्जिद के लिए विशेष स्थान और जगह का महत्व नहीं लेकिन राम जन्मभूमि को स्थानान्तरित नहीं किया जा सकता, संविधान पीठ में नहीं भेजे अयोध्या मामला

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LL.B कोर्स के दौरान गर्भावस्था के लिए उपस्थिति में कोई छूट नहीं : दिल्ली हाईकोर्ट

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LL.B कोर्स के दौरान गर्भावस्था के लिए उपस्थिति में कोई छूट नहीं : दिल्ली  हाईकोर्ट

केंद्र / BCI / CBSE / UPSC को सौंपी जाए CLAT परीक्षा : दिल्ली हाईकोर्ट में ABVP की याचिका

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केंद्र / BCI / CBSE / UPSC को सौंपी जाए CLAT परीक्षा : दिल्ली हाईकोर्ट में ABVP की याचिका MAY 19, 2018 • अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी), CLAT UG के लिए उपस्थित एक उम्मीदवार और CLAT PG के लिए उपस्थित एक अन्य कानून स्नातक ने दिल्ली उच्च न्यायालय में आम कानून प्रवेश परीक्षा (सीएलएटी), 2018 को चुनौती देने वाली याचिका दायर की है। । वकील नमित सक्सेना और निशांत वाना के माध्यम से दायर याचिका में सीएलएटी -2018 को “ असंगत, लापरवाही, उप-मानक और अक्षम कार्यान्वयन” बताते हुए  अदालत के हस्तक्षेप की मांग की गई है जिसे 13 मई को अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट में भारत के प्रमुख राष्ट्रीय कानून स्कूलों में पेश किए गए कानून के अनुशासन में प्रवेश के लिए आयोजित किया गया। ये याचिका घूर्णन आधार पर सीएलएटी आयोजित करने में राष्ट्रीय कानून विश्वविद्यालयों की “कुप्रबंधन और अक्षमता” को उजागर करती है और जोर देती है, “पिछले कई वर्षों से  उन विश्वविद्यालयों के गैर जिम्मेदार व्यवहार के कारण जो कड़ी मेहनत को अस्वीकार करते हैं हजारों उम्मीदवार के  सपने को  असंगतता और बार-बार कुप्रबंधन से खराब कर द

कठुआ गैंगरेप केस : पीड़िता की पहचान उजागर करने पर कोर्ट द्वारा फेसबुक, गूगल, ट्विटर, व्हाट्सएप्प को कानूनी नोटिस जारी

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कठुआ गैंगरेप केस : बच्ची की  पहचान उजागर करने पर कोर्ट ने फेसबुक, गूगल, ट्विटर, व्हाट्सएप्प को कानूनी नोटिस भेजा