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घरेलू हिंसा कानून बन रहा पतियों और ससुराल वालों को आतंकित करने का माध्यम : हाईकोर्ट

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घरेलू हिंसा कानून बन रहा है पतियों और ससुराल वालों को आतंकित करने का माध्यम : पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट 

पहली पत्नी के होते हुए दूसरी शादी करना फिर उसे छिपाना पड़ा महंगा, हाईकोर्ट ने दिया पति और दूसरी पत्नी पर धोखाधड़ी का केस दर्ज करने का आदेश

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पहली पत्नी के होते हुए दूसरी शादी करना फिर उसे छिपाने पर हाईकोर्ट ने पति और दूसरी पत्नी पर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज करने का दिया आदेश 

सास-ससुर की संपत्ति पर बहू का कोई अधिकार नहीं : दिल्ली हाईकोर्ट

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सास-ससुर की संपत्ति पर बहू का कोई हक नहीं : दिल्ली हाईकोर्ट . दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में कहा है कि  सास-ससुर की संपत्ति पर बहू का कोई हक नहीं, दिल्ली हाई कोर्ट ने दी व्‍यवस्‍था, हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों की देखरेख व कल्याण के लिए बने नियमों को ध्यान में रखते हुए वरिष्ठ नागरिकों को अपने घर में शांति से रहने का अधिकार है। नई दिल्ली । दिल्ली हाईकोर्ट । October 14, 2018 .Law Expert and Judiciary Exam.  दिल्ली हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है। हाई कोर्ट ने फैसला दिया है कि सास-ससुर की चल या अचल संपत्ति में बहू का कोई अधिकार नहीं है। फिर चाहें वह संपत्ति पैतृक हो या खुद से अर्जित की गई हो। ये अपील महिला ने जिलाधिकारी के द्वारा ससुर का घर खाली करने के आदेश के खिलाफ दायर की थी। इससे पहले इसी साल जुलाई में एकल पीठ ने मामले की सुनवाई की थी और जिलाधिकारी के आदेश को बरकरार रखा था। एकल पीठ के आदेश के खिलाफ महिला ने पुन: डबल बेंच में अपील की थी। इसी मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने ये आदेश सुनाया है।  कोर्ट ने जिलाधिकारी और एकल

अपराधी के छूटने या कम सजा पाने पर पीड़ित को अपील का अधिकार : सुप्रीम कोर्ट .

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अपराधी के छूटने या कम सजा पाने पर पीड़ित को अपील का अधिकार - सुप्रीम कोर्ट . ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि अपराधियों के छूटने या कम सजा होने के खिलाफ पीड़ित को बिना अनुमति हाईकोर्ट में अपील दायर करने का अधिकार है।  नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट . 13 APRIL 2018. Law Expert and Judiciary Exam.  जस्टिस मदन बी लोकुर, दीपक गुप्ता और एएस नजीर की पीठ ने 2:1 के बहुमत से शुक्रवार को यह फैसला दिया। हालांकि जस्टिस गुप्ता ने इसके विरुद्ध अपना मत व्यक्त किया और कहा कि बरी होने के खिलाफ अपील दायर करने के लिए हाईकोर्ट से अनुमति लेना आवश्यक बना रहना चाहिए।  बहुमत के फैसले में पीठ ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 2 (डब्लू ए) में पीड़ित की जो परिभाषा दी गई है उसमें स्पष्ट है कि उसे अपील दाखिल करने का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट अनुमति लेने के मामले में कोर्ट ने कहा कि धारा 372 बहुत साफ है वह भी तब जब उसे धारा 378 (4) के समक्ष रखा जाता है। धारा 378 (4) धारा को शिकायत मामले में बरी हुए व्यक्ति तक सीमित रखा गया है। कोर्ट ने कहा कि शिकायत शब्द धारा 2 (डी) में परिभाषित किया गया है। क्या था मामला ?

फरमान : अब हर जज हाईकोर्ट को बताएगा रोजाना कितना किया काम,जारी किया गया फार्मेट

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हर जिला एवं सत्र न्यायाधीश बताए कि रोजाना कितना किया काम : हाईकोर्ट 

नकली नोट या नकली मुद्रा का उपयोग भर करना कोई अपराध नहीं : हाईकोर्ट

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नकली नोट या नकली मुद्रा का उपयोग भर करना कोई अपराध नहीं है : बॉम्बे हाईकोर्ट. बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक महिला के खिलाफ सुनाए गई सजा को निरस्त कर दिया है जिसके पास से कुछ नकली मुद्रा बरामद की गई थी और नोटबंदी के दौरान वह इसे बैंक में जमा कराने लाई थी। न्यायमूर्ति रंजीत मोरे और भारती एच डांगरे की पीठ ने कहा की नकली मुद्रा या बैंक नोट का उपयोग-मात्र अपराध नहीं है और इसके लिए उसे धारा 489B के तहत सजा नहीं दी जा सकती क्योंकि इसमें अपराध करने की मंशा नहीं होती। यह महिला जो नोट जमा कराने आई थी उसमें हजार रुपए के तीन नोट और 500 के दो नोट, कुल 4000 रुपए नकली थे और बैंक ने इस महिला संस्कृति जयन्तीलाल सालिया के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई और उसे आईपीसी की धारा 489B के तहत दोषी करार दिया गया। यह स्पष्ट है कि महिला ने नोटबंदी के कारण इस नोट को बैंक में जमा कराने आई और सिर्फ इस वजह से कि उसके पास ये नोट पाए गए, उसे इस धारा के तहत दोषी करार नहीं दिया जा सकता क्योंकि उसके पास इस बात की कोई ‘जानकारी’ नहीं थी। पीठ ने कहा, “…उक्त अपराध की मुख्य बात यह है कि जो व्यक्ति नोट प्राप्त कर रहा है उसको पता है कि यह नोट

कोर्ट से बाहर इकबालिया बयान पर भी हो सकती है सजा : सुप्रीम कोर्ट

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कोर्ट से बाहर इकबालिया बयान पर भी हो सकती है सजा : सुप्रीम कोर्ट 

न्यायमूर्ति रंजन गोगोई बने देश के 46वें मुख्य न्यायाधीश, राष्ट्रपति ने दिलाई शपथ

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जस्टिस रंजन गोगोई बने देश के 46वें मुख्य न्यायाधीश, राष्ट्रपति ने दिलाई शपथ जस्टिस रंजन गोगोई देश के 46 वें  मुख्य न्यायाधीश बन गए हैं। बुधवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। वो 17 नवंबर 2019 तक पद पर बने रहेंगे। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कई मंत्री, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज व वर्तमान जज मौजूद रहे। जस्टिस गोगोई पूर्वोत्तर राज्य से पहले मुख्य न्यायाधीश भी बने हैं। वो  असम के पूर्व मुख्यमंत्री केशव चंद्र गोगोई के बेटे हैं।  18 नवंबर, 1954 को जन्मे जस्टिस रंजन गोगोई ने डिब्रूगढ़ के डॉन बोस्को स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा ली और फिर उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से इतिहास की पढ़ाई की।  जस्टिस रंजन गोगोई ने 1978 में वकालत के लिए पंजीकरण करा। उन्होंने संवैधानिक, कराधान और कंपनी मामलों में गुवाहाटी उच्च न्यायालय में वकालत की। 28 फरवरी, 2001 को जस्टिस  गोगोई को गुवाहाटी उच्च न्यायालय का स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। 9 सितंबर 2010 को उनका पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में तब

जज बनने की कीमत एक करोड़ से डेढ़ करोड रुपये, हुआ पीसीएस-जे घोटाले का पर्दाफाश

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हरियाणा सिविल जज एक्जाम घोटाला : कोचिंग सेंटर ने मोटी रकम लेकर कराया पेपर लीक , जज बनने पर एक करोड़ देने का हुआ था सौदा ।

तलाक के बाद दहेज उत्पीड़न को लेकर पत्नी नहीं कर सकती कोई केस :सुप्रीम कोर्ट

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तलाक के बाद दहेज उत्पीड़न को लेकर पत्नी अपने पति पर नहीं कर सकती कोई केस : सुप्रीम कोर्ट

अनूठा आदेशः तलाक ले लो, पर ताउम्र दोस्त बने रहो : सुप्रीम कोर्ट

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सुप्रीम कोर्ट ने छह महीने के कूलिंग पीरियड को समाप्त किया ,व कहा ,तलाक ले लो पर ताउम्र दोस्त बने रहो : सुप्रीम कोर्ट 

अगर रेप पीड़िता ने बयान बदला तो उसके खिलाफ भी चलेगा मुकदमा : सुप्रीम कोर्ट

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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला -अगर आरोपी के खिलाफ बदला बयान तो रेप पीड़िता के खिलाफ भी चलेगा मुकदमा 

विवाहेत्तर संबंध/व्यभिचार अब अपराध नहीं, CJI बोले -पति नहीं है पत्नी का मालिक

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IPC497: एडल्टरी अब अपराध नहीं, पति नहीं है पत्नी का मालिक :सुप्रीम कोर्ट 

मोबाईल व बैंक खाते में आधार कार्ड अनिवार्य नहीं : सुप्रीम कोर्ट

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मोबाइल, बैंक खाते, स्कूल एडमिशन में आधार कार्ड अनिवार्य नहीं :सुप्रीम कोर्ट 

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला SC-ST को प्रमोशन में आरक्षण नहीं

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सरकारी नौकरियों में SC-ST कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण नहीं :सुप्रीम कोर्ट