नई दिल्ली | एजेंसी
उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि केवल संदेह के आधार पर आपराधिक कानून लागू नहीं किया जाना चाहिए। ऐसे मामलों में गहन जांच जरूरी है। अन्यथा निर्दोष व्यक्ति को मुकदमे का सामना करना पड़ सकता है। अदालत ने एक कंपनी के निदेशक के खिलाफ दर्ज मामले में यह टिप्पणी की।
न्यायमूर्ति आरएस रेड्डी व न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने कहा कि जब अपराध सहमति या मिलीभगत से होता है अथवा कंपनी के निदेशक, प्रबंधक या अन्य अफसर की उपेक्षा के कारण होता है तो प्रतिनिधिक दायित्व बनता है। प्रतिनिधिक दायित्व कर्मचारी के कार्यों के परिणामस्वरूप नियोक्ता को सौंपी गई जिम्मेदारी है। कोर्ट ने कहा, यह लोक अधिकारी का कर्तव्य है कि सही तथ्यों का पता लगाए। समन मुद्दे पर कोर्ट ने कहा, यह उसका कर्तव्य है कि वह नियमित तरीके से समन न दे।
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