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परीक्षार्थी को आरटीआई अधिनियम के अंतर्गत अपनी उत्तर पुस्तिका का निरीक्षण करने का अधिकार : सीआईसी(केन्द्रीय सूचना आयोग)
परीक्षार्थी को आरटीआई अधिनियम के तहत अपनी उत्तर पुस्तिका का निरीक्षण करने का अधिकार : सीआईसी(केन्द्रीय सूचना आयोग ) दिनांक 2 2 जून 2018. दिल्ली.↔ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ ➖ केन्द्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने✔ सीबीएसई और अन्य बनाम आदित्य बंदोपाध्याय और अन्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निर्भर रहते हुए हाल ही में कहा है कि एक परीक्षार्थी को सूचना अधिकार अधिनियम, 2015 के तहत अपने उत्तर पत्रों का निरीक्षण करने का अधिकार है। सर्वोच्च न्यायालय ने आदित्य बंदोपाध्याय के मामले में फैसला सुनाया था कि अधिनियम की धारा 2 (एफ) के तहत एक सूचना पत्र ‘सूचना’ के दायरे में आ जाएगा और छात्रों के पास अधिनियम के तहत उनकी मूल्यांकन की गई उत्तर पुस्तिका तक पहुंचने का मौलिक और कानूनी अधिकार है। सर्वोच्च न्यायालय ने देखा था, “जब कोई उम्मीदवार परीक्षा में भाग लेता है और प्रश्न के जवाब में अपने उत्तर लिखता है और परिणाम के मूल्यांकन और घोषणा के लिए इसे जांच निकाय को प्रस्तुत करता है तो उत्तर प...
राजस्व रिकॉर्ड में नाम बदलवाने से भूमि पर क़ब्ज़े का अधिकार नहीं बन जाता और इसका कोई आनुमानिक महत्व भी नहीं : सुप्रीम कोर्ट
राजस्व रिकॉर्ड में अवैध रूप से नाम बदलवाने से भूमि पर क़ब्ज़े का अधिकार नहीं बन जाता और इसका कोई आनुमानिक महत्व भी नहीं है : सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी ज़मीन के राजस्व रेकार्ड में नाम बदलवाने से उस व्यक्ति का उस ज़मीन पर क़ब्ज़ा नहीं हो जाता है और जिस व्यक्ति की ज़मीन है उसका अधिकार ख़त्म नहीं हो जाता है और न ही इसका कोई आनुमानिक (presumptive) महत्व भी नहीं है। सिर्फ़ इतना होता है कि जिस व्यक्ति का नाम राजस्व रेकर्ड में डाला गया है वह राजस्व का भुगतान कर सकता है। न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे और न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी की पीठ ने बॉम्बे हाईकोर्ट के एक फ़ैसले के ख़िलाफ़ दायर अपील पर सुनवाई करते हुए यह बात कही। हाईकोर्ट का यह आदेश विवादित भूमि के राजस्व रेकर्ड के बारे में उत्पन्न विवाद से संबंधित है। "किसी भी भूमि के राजस्व रेकॉर्ड में बदलाव के बारे में उसकी क़ानूनी स्थिति में क्या परिवर्तन आता है और इससे ज़मीन पर अधिकार को लेकर क्या बदलाव आता है इस बारे में क़ानून बिलकुल स्पष्ट है और इस बारे में बहुत सारे फ़ैसले आ चुके हैं। ...
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