हिंदी दिवस की प्रासंगिकता आम नागरिक को अपनी मातृभाषा हिंदी में न्याय कब उपलब्ध करायेगी सरकार

हिंदी दिवस 14 सितंबर हिंदी दिवस

राष्ट्रीय भाषा दिवस या हिन्दी दिवस 14 सितंबर को आज पूरे देश में में भारत सरकार तथा सभी राज्यों की सरकारें बड़े धूमधाम से तथा जोर शोर से मना रही हैं लेकिन हिंदी को बढावा देने के लिए  सुप्रीम कोर्ट तथा हाईकोर्ट के कामकाज की भाषा हिंदी में         अभीं तक नहीं कर सकी है जबकी हर साल हिंदी दिवस मनाया जाता है क्यों???? क्या कारण हैं???
यह दिखावा किस लिए सिर्फ हिन्दी भाषी लोगों के तथा हिंदी भाषी राज्यों के लोगों के
वोट बैंक के लिए, उनके वोटो के लिए उन्हें हमदर्दी दिखाने के लिए की हम आम आदमी के साथ है, अग्रेजी के समथॆक नहीं है ।
हर आम चुनाव में तथा बिधान सभा के चुनाव में हिंदी भाषी राज्यों में बोट तो हिन्दी में ही माॅगते है तथा चुनावी रैली में हिंदी में ही भाषण देते हैं अग्रेजी में क्यों नहीं देते हैं जो सत्ता में आने पर हिंदी को सुप्रीम कोर्ट की तथा हिंदी भाषी राज्यों के हाईकोर्ट की आधिकारिक भाषा हिंदी लागू करने के खिलाफ हो जाते हैं ।

राष्ट्रीय भाषा हिंदी को अबतक न  केन्द्रीय सरकारी कार्यालयों की भाषा नहीं बन पाई है और न ही सुप्रीम कोर्ट तथा अन्य सभी राज्यों, खासकर हिंदी भाषी राज्यों के हाईकोर्ट   की आधिकारिक भाषा या काम काज की भाषा का स्तर भारत सरकार दिला पायी हैं जिससे अधिकांश लोगों को तथा  वादकारियों को अपनी भाषा में सुनवाई तथा निणॆय नहीं मिल पा रहा है तथा न मिल पाता है।
फिर दिखावे के लिए सिर्फ एक दिन हिंदी दिवस मनाने का ढोंग क्यो ??
इस बारे में आप सभी मित्रों की क्या राय है जरूर अवगत कराये ।
:  शिव प्रताप सिंह राधव अधिवक्ता

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