पत्नी द्वारा अपने अधिकारों की रक्षा के लिए अपनाया गया कानूनी तरीका पति पर क्रूरता नहीं कहा जा सकता है : सुप्रीम कोर्ट
पत्नी द्वारा अपने अधिकारों की रक्षा के लिए अपनाया गया कानूनी तरीका पति पर क्रूरता नहीं कहा जा सकता : सुप्रीम कोर्ट . सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि अपने अधिकारों की रक्षा के लिए पत्नी द्वारा अपनाए गए कानूनी तरीकों को पति पर क्रूरता नहीं माना जा सकता है। न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने यह भी दोहराया कि विवाह का खुद टूटना विवाह विच्छेद की कानूनी मांग करने का आधार नहीं है। अपनी तलाक की याचिका में पति ने आरोप लगाया कि पत्नी ने सीआरपीसी की धारा 107/151 के तहत एक झूठा मामला दर्ज किया था, जिसके परिणामस्वरूप उसे और उसके पिता को गिरफ्तार कर लिया गया। यह भी आरोप लगाया गया था कि पत्नी ने उनके खिलाफ मुकदमा दायर करके और उनके घर के संबंध में स्थायी निषेधाज्ञा की मांग की थी, जिसमें उसने आरोप लगाया था कि प्रतिवादी ने उसे धोखा दिया था। पति के अनुसार पत्नी के उक्त कृत्यों में मानसिक क्रूरता थी और इसलिए उसने विवाह विच्छेद की मांग की । पत्नी ने कानूनी कार्रवाई का सहारा लेते हुए अपना बचाव किया, जिसमें कहा गया कि उसने अपने अधिकारों और संपत्ति की रक्षा के लिए उक्त कार्र