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पति की मौत के बाद भी तलाक को चुनौती दे सकती है पत्नीः पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

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पति की मौत के बाद भी तलाक को चुनौती दे सकती है पत्नीः हाईकोर्ट पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट: तलाक के एक दशक व पति की मौत के एक वर्ष बाद परिजनों के खिलाफ घरेलू हिंसा का केस दाखिल करने वाली जम्मू निवासी महिला को हाईकोर्ट ने कानून का दुरुपयोग करने वाला करार दिया है। साथ ही हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि पति की मौत के बाद भी एक्स पार्टी तलाक के आदेश को कानूनी वारिस के माध्यम से चुनौती दे सकती है।  पीड़ित महिला ने बताया कि वह जम्मू की रहने वाली है और अंबाला के एक व्यक्ति से उसने विवाह किया था। 1995 में विवाह के बाद दोनों के बीच कुछ सही नहीं रहा और वह दो साल से पहले ही मायके वापस आ गई। इसके बाद उसके पति ने उसके खिलाफ तलाक का केस दाखिल कर दिया जिसमें एक्स पार्टी ऑर्डर के तहत तलाक को 2001 में मंजूरी मिल गई।  हालांकि बाद में 2003 में उसके पति ने साथ में रहने की सहमति जताई और दोनों साथ रहने लगे। इसके बाद 2005 में एक और याचिका दाखिल कर तलाक की मांग की, जो खारिज हो गई। महिला ने बताया कि इसके बाद 2010 में पति की मौत हो गई और पति के भाइयों ने याची के पति के फर्जी हस्ताक्षर कर सारी प्

पिता ऐसी बेटी को गुजारा भत्ता देने के लिए बाध्य नहीं जो नौकरी करती हैं : हाईकोर्ट

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पिता ऐसी बेटी को गुज़ारे की मासिक राशि देने के लिए बाध्य नहीं जो ख़ुद कमा रही है : कर्नाटक हाईकोर्ट कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा है कि पिता अपनी उस बेटी को गुज़ारे की मासिक राशि देने के लिए बाध्य नहीं है जो नौकरी से पैसे कमा रही है। न्यायमूर्ति एसएन सत्यनारायण और पीजीएम पाटिल ने इस बारे में सदाशिवानंद की याचिका आंशिक रूप से स्वीकार कर ली। पीठ ने कहा, "शुरुआत में अदालत ने कुछ राशि के भुगतान के बारे में आदेश देकर ठीक किया था पर जब उस समय के बाद के लिए नहीं जब उसे किसी प्रतिष्ठित कंपनी में 20-25 हज़ार प्रति माह की नौकरी मिल गई। उसको 10 हज़ार की अतिरिक्त राशि दिलाकर उसकी आदत नहीं बिगाड़ी जा सकती। पिता के कंधे पर अन्य अविवाहित बेटियों के गुज़ारे का भार भी है और रिपोर्ट के हिसाब से इन लोगों ने अपनी पढ़ाई रोक दी है और दो बेटे अभी भी बालिग़ नहीं हुए हैं और उसे उनका भरण-पोषण तब तक करना है जबतक कि वे अपने पैरों पर खड़े नहीं हो जाते"। पीठ ने शादी में ख़र्च होने वाली राशि को 15 लाख से घटाकर 5 लाख कर दिया। अदालत ने कहा, "शादी का ख़र्च तब होना है जब बेटियों की शादी का दिन निर्धारित